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________________ रोगों को आमंत्रण है। मस्तिष्क के रोग भी लेड ऑक्साइड के कारण हो सकते हैं। यातायात के नियमों का उल्लंघन, जल्दबाजी, नशाखोरी, आगे निकलने की कोशिश आकस्मिक हादसों को निमंत्रण देती है। एक दिन (सप्ताह में) यंत्रचलित वाहन बंद रखें तो प्रदूषण का थोड़ा-बहुत निराकरण होगा और सकुन भी मिलेगा। पृथ्वी, तृण, पत्र, काष्ठ, गोबर, कूड़ा आदि में बहुत जीव रहते हैं। कुछ उड़नेवाले कीट-पतंग आदि होते हैं। वे अग्नि का संघात पाकर, अग्नि की उष्णता से संकोच को प्राप्त होते हैं। बाद में मूर्च्छित होकर मर जाते हैं। अग्निकाय का शस्त्राघात निम्न सात प्रकारों से होता है - १) मिट्टी या धूल से २) आर्द्र वनस्पति अग्नि को प्रतिबंध करती है प्रज्वलित नहीं होने देती ३) त्रस प्राणी ४) स्वकाय शस्त्र अग्नि से अग्नि प्रज्वलन - दियासलाई परकाय शस्त्र - गैसलाईटर ६) तदुभय ७) भावशस्त्र - असंयम भावशस्त्र याने असंयम बढ़ता जा रहा है। परिज्ञात कर्ता बनकर अग्निकाय का उपयोग करें।१२ बिजली के उपयोग का विचार भी अनुचित नहीं होगा। कई दार्शनिक बिजली को तेजकाय मानते हैं। परंतु बिजली और तेज-काय में अन्तर है। बिजली पर पानी पड़ेगा तो वहाँ विस्फोट होगा। अग्निपर पानी पड़ेगा तो (शस्त्राघात) अग्नि बुझ जायेगी। अग्नि का ईंधन लकड़ी है और बिजली के लिये लकड़ी विरोधक है। बिजली के तार प्लास्टिक में अवगुंठित किये जाते हैं और अग्नि प्लॉस्टिक को पिघला देती है। इस बारे में भगवतीसूर्य के छैटे शतक में नौवी गाथा में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। "विज्जुये तमस काये भिन्ने” (श्री मधुकर मुनिजी लिखित टीका, भगवती, भाग २ पृ० ५६)। फिर भी बिजली की चकाचौंध से अनेक पतंगों की विराधना होती है। दीपावली के अवसर पर पटाखों की चकाचौंध और गंधकयुक्त वायु वातावरण को भर देती है। इससे कितने ही कीट-पतंगे जो रात में विश्राम कर रहे होते हैं उनकी विराधना होती है। इस प्रकार राष्ट्रीय उर्जाशक्ति का दुरुपयोग होता है। इस शक्ति की सहाय से हम लोकोपयोगी कार्य कर सकते हैं। __ भौतिक अभ्युदय में एक महत्त्वपूर्ण बात है औद्योगिकीकरण। जीवन के सुलभीकरण के लिये यांत्रिकीकरण आवश्यक बनता जा रहा है। यांत्रिकी सुविधाओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525049
Book TitleSramana 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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