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________________ १२ धर्म की इन सभी परिभाषाओं से आबद्ध है। यह मानवता का पाठ पढ़ा कर समता मूलक अहिंसा की प्रतिष्ठा करता है और प्राणिमात्र को सुरक्षा प्रदान करने का दृढ़ संकल्प देता है। सामाजिक, राजनैतिक और आध्यात्मिक प्रदूषण को दूर करने की दिशा में जैन धर्म ने जो महनीय योगदान दिया है वह अपने आप में अनूठा है। इस दृष्टि से धर्म की परिभाषा में और पर्यावरण की सुरक्षा में जैन धर्म जितना खरा उतरता है उतना अन्य कोई धर्म दिखाई नहीं देता। जैन धर्म वस्तुत: मानव धर्म है, मानवता की अधिकतम गहराई तक पहुँचकर दूसरे के कल्याण की बात सोचता है। यही उसकी अहिंसा है, यही उसका कारुणिक रूप है और यही पर्यावरण का आधार है। दानवता से प्रदूषण पलता है। अहिंसा संयम, समता और करुणा मानवता के अंग हैं, पर्यावरण के रक्षक हैं। जैनधर्म मानवतावादी धर्म है अहिंसा का प्रतिष्ठापक है। इसलिए पर्यावरण की समग्रता को समाहित किए हुए है। पर्यावरण की शुद्धता के प्रति एक बार लोकमत में जागृति आ जाये तो वह प्रदूषण एवं हिंसा के दानव का मुकाबला ही नहीं कर सकेगा, अपितु हमेशा के लिए उस पर विजय भी प्राप्त कर लेगा और यही धर्म की विजय होगी।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525049
Book TitleSramana 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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