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________________ साहित्य सत्कार कर्मप्रकृति भाग ३ रचनाकार शिवशर्मसूरि, अज्ञातकृत चूर्णि, मुनिचन्द्रसूरि कृत टिप्पण एवं मलयगिरि तथा यशोविजयजी द्वारा रचित वृत्ति और चित्रों-यंत्रों से युक्त गुजराती भाषा में प्रश्नोत्तर सहित, सम्पादक - आचार्य विजयवीरशेखर सूरि, आचार्य विजयधर्मघोष सूरि एवं गणि कैलाशविजय जी, आकार- रायल, प्रकाशकश्री रांदेर रोड श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ, अडाजणा पाटीआ, सूरत ३९५००९; प्राप्तिस्थान - श्री नेमिविज्ञानकस्तूर सूरीश्वर जी ज्ञान मंदिर C/o निकेश जयंतीभाई संघवी, कायस्थ महाल, गोपीपुरा - सूरत ३९५००१; पक्की जिल्द; पृष्ठ - ५००; मूल्य पठन-पाठना. - - जैन परम्परा में कर्मवाद का अत्यन्त सूक्ष्म, सुव्यवस्थित एवं विस्तृत विवेचन है। श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही परम्पराओं में इस विषय पर स्वतंत्र रूप से विभिन्न ग्रन्थों की रचना हुई है। श्वेताम्बर परम्परा में इस विषय का प्राचीन ग्रन्थ है शिवशर्मसूरि कृत कर्मप्रकृति । प्राकृत भाषा में निबद्ध इस कृति में ४७५ गाथायें हैं। रचनाकार का सत्ता समय विक्रम सम्वत् की ५वीं शती माना जाता है । इस कृति पर विक्रम सम्वत् की १२वीं शती के पूर्व रची गयी अज्ञातृ कर्तृक एक चूर्णि मिलती है। विक्रम सम्वत् १२वीं शती में बृहद्गच्छीय आचार्य मुनिचन्द्रसूरि ने इस पर टिप्पण की रचना की। वि०सं० की १३ एवं १८वीं शती में मलयगिरि एवं तपागच्छीय उपा० यशोविजय द्वारा इस कृति पर रचित वृत्तियां भी प्राप्त होती हैं। शिवशर्मसूरिकृत उक्त रचना के कई संस्करण विभिन्न वृत्तियों के साथ कई स्थानों से पूर्व में प्रकाशित हो चुके हैं। प्रस्तुत पुस्तक में भी मूल ग्रन्थ, उस पर रची गयी चूर्णि, टिप्पण एवं वृत्तियों का समावेश है। अनेक चार्टों एवं यन्त्रों के माध्यम से गुजराती भाषा में प्रश्नोत्तर शैली के माध्यम से विभिन्न तथ्यों का स्पष्टीकरण इस संस्करण की सबसे बड़ी विशेषता है। रायल आकार और पक्की जिल्द के साथ श्रेष्ठ कागज पर मुद्रित ५०० पृष्ठों के इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का मूल्य पठन-पाठन रखा गया है। यह पुस्तक प्रत्येक पुस्तकालयों एवं कर्म साहित्यविषयक शोधकर्ताओं के लिये संग्रहणीय और पठनीय है। ऐसे महत्त्वपूर्ण और व्ययसाध्य ग्रन्थ का प्रकाशन और उसका निःशुल्क वितरण प्रकाशक और उसके अर्थ सहयोगीजनों की उदारता का जीवन्त उदाहरण है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525049
Book TitleSramana 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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