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स्थानकवासी सम्प्रदाय के छोटे पृथ्वीचन्द्रजी महाराज की परम्परा का इतिहास
डॉ० विजय कुमार*
श्वेताम्बर परम्परा में मूर्तिपूजा के विरुद्ध अपना स्वर मुखर करनेवालों में क्रान्तदर्शी लोकाशाह प्रथम व्यक्ति थे। समकालीन साहित्यिक साक्ष्यों से यह सुनिश्चित हो जाता है कि लोकाशाह का जन्म ईसा की १५वीं शताब्दी पूर्वार्द्ध में हुआ था। लोकाशाह ने तत्कालीन समाज में व्याप्त जिनप्रतिमा, जिनप्रतिमा निर्माण, पूजन, जिनभवन-निर्माण और जिनयात्रा की हिंसा से जुड़ी हुई प्रवृत्तियों को धर्मविरुद्ध बताया और लोकागच्छ की स्थापना की । किन्तु कालान्तर
सभी प्रवृत्तियाँ लोकागच्छ में समाहित हो गयीं। परिणामतः क्रियोद्धार करके स्थानकवासी परम्परा का निर्माण करनेवाले जीवराजजी, लवजीऋषि, धर्मसिंहजी, धर्मदासजी आदि लोकागच्छ से अलग हो गये और उनके साथ मूर्तिपूजा विरोधी समाज जुड़ गया।
स्थानकवासी परम्परा में क्रियोद्धारक पूज्य श्री धर्मदासजी का उल्लेखनीय एवं महत्त्वपूर्ण स्थान है। धर्मदासजी का जन्म वि० सं० १७०१ में अहमदाबाद के समीपस्थ सरखेजा ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री जीवनदास एवं माता का नाम श्रीमती डाहीबाई था। आठ वर्ष की आयु में जैन यति की पाठशाला में आपने अध्ययन प्रारम्भ किया। व्यावहारिक एवं नैतिक अध्ययन के साथ आपने धार्मिक शिक्षा भी प्राप्त की। लोकागच्छीय यति श्री केशवजी एवं श्री तेज सिंह से दर्शन के गूढ़ तत्त्वों को जाना। कुछ समयोपरान्त आप पोतियाबन्ध श्रावक श्री कल्याणजी के सम्पर्क में आये और उनके विचारों से प्रभावित हुए। उस समय पोतियाबन्ध पंथ का राजस्थान एवं गुजरात में बहुत तेजी से प्रभाव बढ़ रहा था। जयमाल के पुत्र प्रेमचन्द इस सम्प्रदाय के संस्थापक माने जाते हैं। श्री कल्याणजी के प्रभाव में आकर आप पोतियाबन्ध पंथ से जुड़ गये। मुनि हस्तीमलजी 'मेवाड़ी' का मानना है कि आपने दो वर्ष तक पोतियाबन्ध श्रावक के रूप में जीवन व्यतीत किया था।
तीक्ष्ण प्रतिभा के धनी धर्मदासजी को भगवतीसूत्र का अध्ययन करते समय यह उल्लेख मिला कि भगवान् महावीर का शासन २१ हजार वर्षों तक चलेगा। भगवतीसूत्र के इस उद्धरण ने उनके मन को विचलित कर दिया और वे सच्चे संयमी की खोज में निकल पड़े। इस सन्दर्भ में वे क्रियोद्धारक श्री लवजीऋषि एवं श्री धर्मसिंहजी से मिले, किन्तु दोनों क्रियोद्धारकों से पूर्ण सहमति नहीं हो पायी । वि०सं० १७१९ में आप मालवा पहुँचे जहाँ क्रियोद्धारक
प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, आई० टी० आई० रोड, वाराणसी - २२१००५
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