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८ : श्रमण, वर्ष ५४, अंक १-३/जनवरी-मार्च २००३ ८. चंदपहो चंदपुरे, जादो महसेण-लच्छिमह आहिं।
पुस्सस्स किण्ह-एयारसिए अणुराह-णक्खत्ते।।
-वही, गाथा ५४०. सिंहपुरे सेयंसो, विण्हु-णरिदेण वेणु-देवीए। एक्कारसिए फग्गुण-सिद-पक्खे सवण-भे जादो।।
- वही, गाथा ५४३ १०. हयसेण-वम्मिलाहिं, जादो वाराणसीए पास-जिणो।
पुस्सस्स बहुल-एक्कारसिए रिक्खे विसाहाए।।
-~-वही, गाथा ५५५. ११. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ की ऐतिहासिकता तथा अपभ्रंश-साहित्य
विषयक उल्लेख, तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ, पृ० ५७. १२. जैनधर्म का प्राचीन इतिहास, प्रथम भाग, पृ० १४४ १३. दर्शनसार, गाथा ६ (वादिराजसूरिकृत पार्श्वनाथचरित का समीक्षात्मक
अध्ययन, प्राक्कथन, पृष्ठ क-ख से उद्धृत) १४. वादिराजसूरिकृत पार्श्वनाथचरित का समीक्षात्मक अध्ययन, प्राक्कथन,
पृष्ठ ख. १५. वही, पृष्ठ ख. १६. वही, पृष्ठ ख. १७. तिलोयपण्णत्ती, चतुर्थ महाधिकार, गाथा ५४३ (पूर्वोक्त सन्दर्भ ९). १८. (क) अत्थि इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सिंघपुरी णाम णयरी। तीए णयरीए
विण्हू णामेण णराहिवो। तस्स य सयलंतेउरपहाणा सिरी णामेण महादेवी। तीए य सह विसयसुहमणुहवंतस्स अइक्कंतो कोइ कालो। ....... तओ एरिसम्मि काले वट्टते जेट्ठस्स किण्हछट्ठीए सवणणक्खत्ते सिरी सुहपसुत्ता रयणीए चरिमजामम्मि चोद्दस महासुमिणे पासिऊण विउद्धा साहेइ जहाविहिं दइयस्स। तेण वि पुत्तजम्मेणाभिणंदिया।
-चउप्पन्नमहापुरिसचरियं, सेज्जंससामिचरियं, पृष्ठ ९३. (ख) तओ वि परिभुंजिऊण सललियविलासिणीविलसियव्वाइं अवरविदेहे सीहपुरवरम्मि पवरणरिंदाहिवती संजाओ अवराइयणामोवलक्खिओ त्ति। - वही, अरिट्ठणेमि-कण्ह-वासुदेव-बलदेवबलदेवाणचरियं, पृष्ठ २०५.
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