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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ५३. ५४. मितिविहीन १५९९ वैशाख सुदि ५ गुरुवार गुणसुन्दरसूरि गुणसुन्दरसूरि के शिष्य गुणप्रभसूरि आदिनाथ की प्रतिमा का लेख आदिनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख चिन्तामणिजी का मन्दिर, बीकानेर जैन मन्दिर, चेलपुरी, दिल्ली नाहटा, पूर्वोक्त- लेखांक ८२५ नाहर, पूर्वोक्त- भाग १, लेखांक ५०१ अभिलेखीय साक्ष्यों की प्रस्तुत तालिका के लेखांक १ में वि०सं० १२६० में जलमंदिर, पावापुरी में महावीर स्वामी की प्रतिमा के प्रतिष्ठापक मुनि के रूप में अभयदेवसूरि का नाम आया है किन्तु उक्त प्रतिमालेख में उनके गच्छ का कोई निर्देश नहीं है। ऐसी परिस्थिति में उन्हें किस आधार पर खरतरगच्छ की इस शाखा से सम्बद्ध माना जाये। चूंकि रुद्रपल्लीयशाखा में वि०सं० १२७८ में जयन्तविजयकाव्य के रचनाकार अभयदेवसूरि का ऊपर उल्लेख आ चुका है और इस काल में अभयदेव नामक किसी अन्य गच्छ में भी कोई अन्य आचार्य या मुनि नहीं हुए हैं अतः पावापुरी में महावीरस्वामी की प्रतिमा के प्रतिष्ठापक अभयदेवसूरि को समसामयिकता और नामसाम्य के आधार पर जयन्तविजयकाव्य के रचनाकार खरतरगच्छ-रुद्रपल्लीयशाखा के अभयदेवसूरि से अभिन्न मानने में कोई बाधा नहीं है। खरतरगच्छ - रुद्रपल्लीयशाखा का इतिहास : ८१
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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