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________________ ५४ : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२ 'अन्वय' के साथ वाले ऐसे शब्दोल्लेख और भी प्राप्त होते हैं। इस रूप में शब्द को संस्कृत रूपायित करने का प्रयास है। यह लेख सं० १२३४ से ५४ वर्ष पहले का और 'अयरवाल' शब्द से भी ९ वर्ष पूर्व का है। इस प्रकार अभी तक की जानकारी के अनुसार 'अग्रवाल' शब्द की प्राचीनता में यह नवीनतम प्रमाण है। अब इससे पूर्व के 'अग्रवाल' शब्दोल्लेख की खोज की जानी आवश्यक है, जिससे प्राचीनता की जानकारी प्रमाण सहित अधिकाधिक रूप में हो सके। अत: इसके लिए अधिकाधिक प्रतिमा-लेख संग्रहों तथा प्रशस्ति-लेख संग्रहों व अन्यान्य सामग्री को टटोलने की आवश्यकता है, जिससे अग्रवाल (अयरवाल रूप में भी) शब्द की और भी प्राचीनता सामने आ सके। आशा है अग्रवाल समाज इस ओर ध्यान देगा। सन्दर्भ : १. जैनग्रन्थप्रशस्ति-संग्रह, द्वितीय भाग, पृ० ४५-४८ तथा प्रस्तावना, पृ० ८४-८५। २. मंगल मिलन, वर्ष ८, अंक १२ (मार्च १९८१) पृ० १० पर लेखक का "अयरवाल और अग्रवाल शब्द की एकरूपता' शीर्षक लेख। ३. हिन्दी अनुशीलन, वर्ष ९, अंक १-४, पृ० १६१। यह ग्रन्थ अब दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र महावीर जी से प्रकाशित हो चुका है। ४. बाबू कामता प्रसाद जैन, संपा०- प्रतिमालेखसंग्रह, (जैन सिद्धान्त भवन, आरा वि०सं० १९९४), पृ० १२ व २९. ५. उपर्युक्त जानकारी के लिए मैं डॉ० शिवप्रसाद जी, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, के प्रति अनुगृहीत हूँ, जिन्होंने मेरा निवेदन स्वीकार कर उक्त तथ्यों से अवगत कराने की कृपा की। ६. महोपाध्याय विनयसागर, वल्लभ भारती, जयपुर १९७५ ई०, पृ० १०४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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