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________________ जैनाचार्यों का छन्द-शास्त्र को अवदान : ४३ आचार्य हेमचन्द्र ने छन्दोऽनुशासन पर स्वोपज्ञ वृत्ति की भी रचना की है, जिसका अपर नाम छन्दश्चूणामणि है। छन्दोरत्नावली आचार्य अमरचन्द्रसूरि (१३वीं शताब्दी) ने ७०० श्लोक प्रमाण इस छन्द ग्रन्थ की रचना की थी। छन्दोरत्नावली में ९ अध्याय हैं जिसमें संज्ञा, समवृत्त, अर्ध-समवृत्त, विषमवृत्त, मात्रावृत्त, प्रस्तार आदि प्राकृत छन्द व उत्साह आदि षट्पदी, द्विपदी आदि के उदाहरणपूर्वक लक्षण बताये गये हैं। इसमें कई प्राकृत-भाषा के भी उदाहरण हैं। अमरचन्द्रसूरि आचार्य जिनरत्नसूरि के शिष्य थे और गुजरात के वघेलवंशीय राजा वीसलदेव (सन् ११८६ से १२०४ ई०) ने इन्हें वेणीकृपाण का विरुद प्रदान किया था। यह ग्रन्थ अभी तक अप्रकाशित है। छन्दोऽनुशासन इस छन्दोऽनुशासन के रचयिता महाकवि वाग्भट्ट (१४वीं शताब्दी) मेवाड़ देश में प्रसिद्ध जैनश्रेष्ठी नेमिकुमार के पुत्र और 'राहड' के अनुज थे। संस्कृत में विरचित यह ग्रन्थ पाँच अध्यायों में विभक्त है और इसका परिमाण ५४० श्लोक है। इसके प्रथम अध्याय में संज्ञा, द्वितीय अध्याय में समवृत्त, तृतीय अध्याय में अर्ध-समवृत्त, चतुर्थ में मात्रासमक और पञ्चम अध्याय में मातृक छन्द का विवेचन है। यह छन्द-विषयक अत्यन्त उपयोगी ग्रन्थ है। इस पर आचार्य ने स्वोपज्ञवृत्ति भी रची है। . यह ग्रन्थ अभी तक अप्रकाशित है। पिंगलशिरोमणि उपाध्याय अभयधर्म के शिष्य खरतरगच्छीय मुनि कुशललाभ विरचित इस संस्कृत रचना के आठ अध्यायों में वर्णित विषय इस प्रकार हैं १. वर्णावर्ण छन्दसंज्ञाकथन, २-३. छन्दोनिरूपण, ४. मात्राप्रकरण, ५. वर्ण प्रस्तार- उदिष्ट-नष्ट-निरूपताका-मर्कटी आदि षोडशलक्षण, ६. अलङ्कार-वर्णन, ७. डिंगलनाममाला और ८. गीत प्रकरण। यह अभी तक प्रकाशित नहीं है। इस छन्द ग्रन्थ में छन्दों के अतिरिक्त कोष और अलङ्कारों का भी वर्णन है। वृत्तमौक्तिक सर्वतोमुखी प्रतिभासम्पन्न उपाध्याय मेघविजय ने इस छन्द ग्रन्थ की रचना संस्कृत में की है। वृत्त मौक्तिक में प्रस्तार-संख्या, उदिष्ट, नष्ट आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है। विषय को स्पष्ट करने के लिए यन्त्र भी दिये गये हैं। कवि ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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