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________________ ३८ : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२ बारहवीं से चौदहवीं शताब्दी के मध्य आचार्य हेमचन्द्रकृत छन्दोऽनुशासन (बारहवीं शताब्दी), आचार्य अमरचन्द्रसूरिकृत छन्दोरत्नावली (बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी), छन्दोऽनुशासन पर स्वोपज्ञवृत्ति, यशोविजयगणि और वर्धमानसूरिकृत टीकाएँ प्राप्त होती हैं। महाकवि वाग्भट्ट (१४वीं शताब्दी) कृत छन्दोऽनुशासन और रामविजयगणिकृत छन्दःशास्त्र नामक संस्कृत में रचित अन्य ग्रन्थ भी उपलब्ध हैं। १६वीं शताब्दी का एकमात्र ग्रन्थ मुनि कुशललाभकृत पिंगलशिरोमणि प्राप्त होता है। इस क्रम में उपाध्याय मेघविजयकृत वृत्तमौक्तिक, शीलशेखरगणिकृत छन्दोद्वात्रिंशिका (१७वीं शताब्दी) और उपाध्याय समयसुन्दरकृत आर्या-संख्याउद्दिष्ट-नष्ट-वर्तन विधि और मुनि बिहारीकृत प्रस्तार विमलेन्दु (अठारहवीं शताब्दी) ये छन्द-विषयक जैन संस्कृत कृतियाँ उल्लेखनीय हैं। प्राकृत छन्द-ग्रन्थ प्राकृत-भाषा में रचित छन्द-ग्रन्थों में कवि राजमल्लकृत छन्दोविद्या, विरहाङ्ककृत वृत्तजातिसमुच्चय, नन्दिताढ्यकृत गाथालक्षण, अज्ञातकर्तृक कविदर्पण, रत्नशेखरसूरिकृत छन्दःकोश, अज्ञातकर्तृक छन्दःकन्दली, धर्मनन्दनगणिकृत छन्दःस्तव, नागराजकृत पिङ्गलशास्त्र, अज्ञातकर्तृक प्राकृतछन्द और अज्ञातकर्तृक प्राकृत पिङ्गलशास्त्र समाहित हैं। यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कुछ ग्रन्थों में संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश-भाषाओं का एक साथ प्रयोग हुआ है। जैसे- स्वयम्भूच्छन्दस्। इसी प्रकार रत्नशेखरसूरि ने भी प्राकृत और अपभ्रंश दोनों भाषाओं में छन्दकोश की रचना की है। हिन्दी छन्द ग्रन्थ जहाँ तक हिन्दी में उपलब्ध जैन छन्द-ग्रन्थों का प्रश्न है, उनकी संख्या अत्यल्प है। मात्र तीन हिन्दी ग्रन्थ प्राप्त होते हैं जिनमें से दो १८वीं शताब्दी और एक १९वीं शताब्दी का है। हरिरामदासजी निरञ्जनी द्वारा रचित छन्दरत्नावली और पिङ्गलरूपदीप भाषा अट्ठारहवीं शती की रचनाएँ हैं। माखन कवि द्वारा रचित पिङ्गलछन्द-शास्त्र उन्नीसवीं शताब्दी की कृति है। गुजराती छन्द ग्रन्थ गुजराती-भषा में छन्दशास्त्र-विषय कोई भी जैन कृति नहीं है। मात्र एक वृत्ति प्राप्त होती है। अमरकीर्तिसूरि ने अट्ठारहवीं शताब्दी में छन्दकोश पर बालावबोध की रचना की है। जैन छन्दशास्त्र-विषयक कृतियों का भाषानुसार संक्षिप्त परिचय इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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