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२६ : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२ लगाकर उसका सदुपयोग करना चाहिए।
मनुष्यजन्म की दुर्लभता के सम्बन्ध में निम्नलिखित दस दृष्टान्त दिये हैं
१. चोल्लक, २. पाशक, ३. धान्य, ४. धूत, ५. रत्न, ६. स्वप्न, ७. चक्र, ८. चर्म, ९. युग (यूप) और १०. परमाणु।१२
इन दस दृष्टान्तों द्वारा मनुष्य जन्म की दुर्लभता को अलग-अलग कथानकों द्वारा प्रस्तुत किया है जिसका विवेचन गाथा संख्या ४ से १९ तक की गाथाओं में किया है तथा टीकाकार मुनिचन्द्र ने प्राकृत कथाओं के रूप में इन दृष्टान्तों को पद्य रूप में बहुत विस्तृत किया है।
. इन दस दृष्टान्तों में 'चोल्लक' नामक प्रथम दृष्टान्त को टीकाकार ने ५०५ गाथाओं में प्रस्तुत करते हुए कहा है – जिस प्रकार ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती के यहां एक बार भोजन करके पुन: भोजन करना दुर्लभ हुआ, उसी प्रकार एक बार मनुष्य जन्म पाकर उसे पुनः पाना बड़ा ही दुर्लभ है। १३ यहाँ 'चोल्लक' शब्द देशी है जिसका अर्थ है - 'भोजन'।
२. पाशक दृष्टान्त१४ में कहा है कि नन्दवंश का उन्मूलन कर चन्द्रगुप्त को पाटलिपुत्र का राज्य किस प्रकार प्राप्त हो, यह चाणक्य सोचने लगा। उसने अर्थसंग्रह के लिए एक यन्त्रपाश बनाया और किसी देव की कृपा से उसके पाशे प्राप्त किये। उसने दस पाशे को नगर के तिमुहानी और चौमुहानी आदि प्रमुख रास्तों पर रखवा दिया। चाणक्य ने उस द्यूतपाश के पास एक दीनार भरी थाली भी रखवा दी और यह कहा गया कि जो कोई जुए में जीत जायेगा, उसे यह दीनार भरी थाली दी जायेगी और जो हार जायेगा वह एक दीनार देगा। इस देव निर्मित पाशे के द्वारा किसी का भी जीतना सम्भव नहीं था, सभी हारते जाते और एक-एक दीनार देते जाते। इस प्रकार चाणक्य ने बहुत-सा धन अर्जित कर लिया।
३. धान्य का दृष्टान्त प्रस्तुत करते हुए कहा है कि यदि समस्त भरतक्षेत्र के धान्यों को मिलाकर उनमें एक प्रस्थ सरसों मिला दी जाए और किसी कमजोर एवं रोगी वृद्धा स्त्री से उस समस्त धान्य में से एक प्रस्थ सरसों अलग करने को कहा जाये जैसे- समस्त धान्य में से थोड़ी से सरसों को पृथक् करना अत्यन्त दुर्लभ है उसी प्रकार अनेक योनियों में भटक रहे जीव को मनुष्यत्व की प्राप्ति दुर्लभ है।१५
४. रत्न का दृष्टान्त प्रस्तुत करते हुए कहा है कि जैसे- समुद्र में किसी जहाज के नष्ट हो जाने पर खोये हुए रत्न की प्राप्ति दुर्लभ है वैसे ही मनुष्य जन्म की प्राप्ति दुर्लभ है।१६
इसके बाद सूत्रदान के अन्तर्गत ९७ गाथाओं में नन्दसुन्दरी की कथा प्रस्तुत
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