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४६ : श्रमण/जनवरी-जून २००२ संयुक्तांक से तो अङ्ग आगमों के अतिरिक्त सम्पूर्ण जैन आगमिक साहित्य प्रकीर्णक वर्ग के अन्तर्गत आता है।६
वर्तमान में मुनि पुण्यविजय जी ने पइण्णयसुत्ताइं (दो खण्ड) नामक ग्रन्थ के प्रथम भाग में (जैन आगम सम्बन्धित संक्षिप्त वक्तव्य, पृ० १८ में)२२ प्रकीर्णकों का उल्लेख किया है। चूंकि प्रकीर्णकों की कोई निश्चित नामावली नहीं है और यह कई प्रकार से गिने जाते हैं, निम्नलिखित २२ प्रकीर्णकों का सभी प्रकारों में से संग्रह किया गया है। ये हैं(१) चउसरण, (२) आउरपच्चक्खान, (३) भत्तपरिण्णा, (४) संथारय, (५) तंदुलवेयालिय, (६) चन्दावेज्झय, (७) देविंदस्तव, (८) गणिविज्जा, (९) महापच्चक्खान, (१०) वीरथुई, (११) इसिभासियाई, (१२) अजीवकल्प, (१३) गच्छाचार, (१४) मरणसमाहि, (१५) तित्थोगाली, (१६) आराहणापडाया, (१७) दीवसागरपण्णत्ति, (१८) जोइसकरण्डय, (१९) अंगविज्जा, (२०) सिद्धपाहुड, (२१) सारावली और (२२) जीवविभत्ति।
___ परन्तु पइण्णयसुताइं (दोनों भाग) में सम्पादक मुनि पुण्यविजय जी ने कुल ३२ प्रकीर्णकों को सङ्कलित किया है। इनमें से कुछ समान नाम वाले हैं पर इनके लेखक और काल भिन्न हैं। उपरोक्त बाइस प्रकीर्णकों के अलावा पइण्णयसुत्ताइं ग्रन्थ में जो अन्य प्रकीर्णक सङ्कलित हैं, वे हैं- (१) सकुसलापुवंधिअज्झयण-चंउसरणपइण्णयं अवरणामयं सिरि बीरभद्दायरियविरइयंच, (२) आउरपच्चक्खाणं, (३) आउरपच्चक्खाणपइण्णयं-सिरिवीरभद्दाचरिय विरइयं, (४) वीरभद्राचार्य विरचित आराहणापडाया, (५) आराहणासार अवरणामा पज्जंताराहणा, (६) आराहणापणगं, (७) सिरिअभयदेव सूरिपणीयं आराहणापयरणं, (८) जिणसेहरसावयं पई सुलससावयकाराविया आराहणा, (९) नन्दनमुनि आराधित
आराधना, (१०) आराहणा कुलयं, (११) मिच्छादुक्कडकुलयं, (१२) आलोचणाकुलयं, (१३) अप्पविसोहिकुलयं। - उपरोक्त “जैन आगम सम्बन्धित संक्षिप्त वक्तव्य' में उल्लिखित २२ प्रकीर्णकों में चार ऐसे प्रकीर्णक हैं जो पइण्णयसुत्ताइं में सङ्कलित नहीं हैं- ये है- अजीवकल्प, अङ्गविज्जा, सिद्धपाहुड एवं जीवविभक्ति। इस प्रकार पइण्णयसुत्ताइं में कुल ३२ प्रकीर्णक हो जाते हैं। अब ये चार प्रकीर्णक क्यों नहीं सङ्कलित किये गये हैं इसका उल्लेख प्राप्त नहीं होता जबकि ये सब उपलब्ध हैं। ऐसा लगता है कि ये चारों अलग से प्रकाशित होने और कुछ बड़े होने के कारण यहाँ सङ्कलित नहीं किये गये। इसे भी मानें तो वर्तमान में उपलब्ध ३६ प्रकीर्णक हैं। दूसरी ओर 'प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसा' नामक ग्रन्थ में एक लेख (प्रकीर्णकों की पाण्डुलिपियाँ और प्रकाशित संस्करण, लेखक जौहरीमल पारख) में दी गयी उपलब्ध प्रकीर्णकों की सूची में जो तीस प्रकीर्णक सूचीबद्ध हैं उनसे पइण्णयसुताई में सङ्कलित प्रकीर्णकों से भिन्नता है। इस सूची में दिये गये प्रकीर्णकों के नाम ये हैं- (१) आतुरप्रत्याख्यान-वीरभद्र, (२) गणिविद्या,
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