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स्व० भँवरलालजी नाहटा - एक युगपुरुष : ११ उद्देश्य से भंवरलालजी नाहटा ने अनूदित किया है।
३३. श्रीसहजानन्दधनपत्रावली-योगीन्द्र युगप्रधान गुरुदेव श्री सहजानन्दघनजी म.सा० द्वारा पूज्य साधु-साध्वीजी तथा भक्तों को दिये गये हजारों पत्रों में से ७०६ महत्त्वपूर्ण पत्र संकलित कर भंवरलालजी नाहटा ने सम्पादित की है। श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, रत्नकूट, हम्पी (कर्नाटक) द्वारा १९८५ ई० में यह प्रकाशित हुई है।
३४. क्षणिकाएँ- १५० गद्य क्षणिकाओं की आकृति में यह छोटी पुस्तक १९८४ ई० की हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कृति से पुरस्कृत है। इसमें भारतवर्ष की सबसे बड़ी संख्या में उपलब्ध गद्य गीत जिनमें मात्र कल्पना की उड़ान नहीं, शाश्वत सत्य और तथ्य का समायोजन है। भंवरलालजी नाहटा की एकमात्र क्षणिकाकृति अनुज पुत्र अशोक नाहटा के अल्पायु में स्वर्गस्थ होने पर उसे समर्पित, श्री छगनलाल शास्त्री द्वारा समीक्षित और नाहटा ग्रुप ऑफ ट्रेडर्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित है।
३५. बम्बईचिन्तामणिपार्श्वनाथादिस्तवनपदसंग्रह- खरतरगच्छीय वाचक श्रीअमरसिन्धुरजी द्वारा रचित १२ पाठों में संकलित भजनों की मञ्जूषा अगरचन्द भँवरलाल नाहटा द्वारा सम्पादित, सं० २०१४ में श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित और १६२ पृष्ठों में समाहित है। प्रस्तावना में जैन/जैनेतर दर्शनों में मोक्षमार्ग के साधनों पर प्रकाश डाला गया है।
३६. श्रीमददेवचन्द्रस्तवनावली- श्रीमददेवचन्द्रजी द्वारा रचित स्तवनों का संकलन श्री अगरचन्द भंवरलाल नाहटा द्वारा सम्पादित श्रीमद्देवचन्द्र ग्रन्थमाला, ४ जगमोहन मल्लिक लेन, कलकत्ता द्वारा सं० २०१२ में प्रकाशित है।
३७. श्रीजैनश्वेताम्बरपंचायतीमन्दिर, कलकत्ता सार्द्धशताब्दीमहोत्सव स्मृतिग्रन्थ (सं० १९७१ से २०२१)-- इस ग्रन्थ में बड़े जैन श्वेताम्बर मन्दिर व दादाबाड़ी के साथ कलकत्ते के अन्य मन्दिरों का भी सचित्र इतिहास है और १२ ऐतिहासिक लेख भी हैं। इसका सम्पादन भँवरलालजी नाहटा ने किया है।
३८. मणिधारीश्रीजिनचन्द्रसूरिअष्टमशताब्दीस्मृतिग्रन्थ- अगरचन्द भँवरलालजी नाहटा द्वारा सम्पादित, मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी समारोह समिति ५३, रामनगर, नई दिल्ली-५५ द्वारा प्रकाशित (सन् १९७१/वीर सं० २४८७) ग्रन्थ की सारगर्भित प्रस्तावना "नाहटा बन्ध' ने ही लिखी है। दो खण्डों में विभक्त इस ग्रन्थ के प्रथम खण्ड में ४३ लेख हैं, द्वितीय खण्ड में खरतरगच्छीयसाहित्यसूची इन्हीं की संकलित व महोपाध्याय विनयसागर जी द्वारा सम्पादित है।
३९. महातीर्थअहिच्छत्रा- भगवान् पार्श्वनाथ पर कमठ के जीव मेघमाली द्वारा
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