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________________ K विद्यापीठ के प्रांगण में EC १४७ भौगोलिक स्थिति, प्राचीनता आदि के बारे में भी प्रचलित भ्रान्तियों को रेखांकित किया और विद्यापीठ में प्रो० सागरमलजी जैन तथा अन्य विद्वानों से इस सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की और अपने निष्कर्षों से उन्हें परिचित कराया। विद्यापीठ के अपने प्रवास में पूज्य मुनिश्री ने यहाँ के समृद्ध पुस्तकालय तथा संग्रहालय का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया और पुस्तकालय को अपने नवीन ग्रन्थ प्रदान किये। आचार्य विरागसागरजी महाराज का आगमन वर्ष २००१ का अपना गया चातुर्मास पूर्ण कर दिगम्बर जैन आचार्य परमपूज्य श्री विरागसागरजी महाराज ससंघ वाराणसी पधारे। दिनांक ७ जनवरी को विद्यापीठ में आपश्री का शुभागमन दोपहर २.३० बजे हुआ। आपश्री के साथ ४ मुनिराज, ३ आर्यिका माताजी, १ ऐलकजी, ४ क्षुल्लकजी, भट्टारक धर्मकीर्तिजी तथा बड़ी संख्या में वैरागिन बहनें थीं। विद्यापीठ के अधिकारियों के साथ यहाँ के पुस्तकालय तथा परिसर स्थित विभिन्न भवनों का आपने निरीक्षण किया तथा यहाँ हो रहे शोधकार्यों और प्रकाशनों को देखकर उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। अपने संक्षिप्त प्रवास में आपने यहाँ नवनिर्मित यशोविजय स्मृति मन्दिर में व्याख्यान भी दिया जिसमें संस्थान में विराजित सभी साध्वियाँ, संस्थान के अधिकारी एवं शोधच्छात्र उपस्थित थे। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में जन्म जयन्ती समारोह सम्पन्न श्रमण संघीय मुनि, मानव मिलन के प्रेरक, प्रखर वक्ता पू० गुरुदेव श्रीमणिभद्रजी, म०सी० की ३५वीं जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर कानपुर के गुरुभक्तों द्वारा पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी में ८ अप्रैल को प्रातः भव्य जन्मजयन्ती समारोह एवं जैन धर्म एवं पर्यावरण संरक्षण पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण तथा सिंचाई मन्त्री श्री जगदानन्द सिंह और विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय, कुलपतिगोरखपुर विश्वविद्यालय उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कानपुर के नवनिर्वाचित विधायक श्री सलिल विश्नोई ने की। इसी अवसर पर कानपुर से पधारी चन्दनबाला महिलामण्डल की अध्यक्षा श्रीमती रंजना बहन एवं श्रीमती कविता जैन ने भक्ति गीतों के माध्यम से अपने हृदय के उद्गारों को गुरुचरणों में समर्पित किया। कु० रुचि जैन एवं कु० प्रियंका जैन ने क्रमशः चन्दनबाला व भगवान् महावीर का (उड़द बाकुला) 'रुक जा जोगी' दृश्य प्रस्तुत कर जनसमूह को भावविभोर कर दिया। मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए श्री जगदानन्द सिंहजी ने पर्यावरण की संरक्षा के सम्बन्ध में जनसामान्य में चेतना जागृत करने के लिए बुद्धिजीवियों का आह्वान किया और कहा कि हमारे पूर्वजों ने इस दिशा में न केवल बहुत कुछ लिखा है बल्कि उसे करके भी दिखाया है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम उसे जानें और समझें। श्री सिंह ने पूज्य गुरुदेव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525046
Book TitleSramana 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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