SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विद्यापीठ के प्रांगण में मुनिश्री जम्बूविजयजी पार्श्वनाथ विद्यापीठ में जैन आगमों के तलस्पर्शी एवं अन्तर्राष्ट्रीयख्याति प्राप्त विद्वान्, वयोवृद्ध सन्त श्री जम्बूविजयजी महाराज का ससंघ ३ जनवरी को विद्यापीठ में शुभागमन हुआ। आप यहाँ ३ दिन तक ठहरे। इस अवधि में आपने यहाँ पर किये जा रहे शोधकार्यों का निरीक्षण किया और अनेक महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये। सद्भाग्य से विद्यापीठ के मन्त्री तथा पूर्व निदेशक प्रो० सागरमलजी भी इस अवसर पर विद्यापीठ में ही थे। अपने प्रवास के दूसरे दिन मुनिश्री से वाराणसी के प्रमुख विद्वानों ने विद्यापीठ में भेंट की। प्रो० सागरमलजी जैन ने उपस्थित विद्वानों के समक्ष मुनिश्री द्वारा किये जा रहे शोधकार्यो एवं आगम सम्पादन की गम्भीरता और विशदता की चर्चा की। इस अवसर पर मुनिश्री ने आगन्तुक विद्वानों की सभी जिज्ञासाओं का समुचित समाधान किया। आप प्राच्य विद्या धर्मविज्ञान सङ्काय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी गये और वहाँ न्याय, ज्योतिष एवं जैनदर्शन पर कार्य कर रहे विद्वानों से विचार-विमर्श किया। अपने लम्बे विहार क्रम में मुनिश्री ने मार्ग में पड़ने वाले तीर्थस्थानों की न केवल यात्रा की बल्कि उनकी सही मुनिराज श्रीजम्बूविजय जी पार्श्वनाथ विद्यापीठ के संग्रहालय का निरीक्षण करते हुए, उनके बायीं ओर हैं संग्रहालय के नियामक श्री सत्येन्द्रमोहन जैन तथा दाहिने प्रो० सागरमल जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525046
Book TitleSramana 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy