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________________ ११२ : श्रमण/जनवरी-जून २००२ संयुक्तांक अमेरिका में आतंकवादियों ने अपने प्राणों की चिन्ता किये बिना हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया इसकी प्रतिक्रियास्वरूप अमेरिका ने अफगानिस्तान में हवाई हमलों के द्वारा हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। क्या यह आतंकवाद नहीं है? भारत, चेचन्या, फिलीपीन्स एवं कोसोवों में जेहाद के नाम पर प्रतिदिन हिंसात्मक गतिविधियाँ जारी हैं। गांधीजी हृदय परिवर्तन की बात करते हैं; किन्तु जब व्यक्ति बिना किसी भय, बिना किसी चिन्ता के हिंसा करने पर उतारू है तो ऐसी स्थिति में उसका हृदय परिवर्तन करना कठिन है। आज हमें आत्मचिन्तन करने की आवश्यकता है। इसके लिये नैतिक मूल्यों को केन्द्रीय तत्त्व मानते हुए जेहादी युवकों की मूल समस्याओं की पहचान करनी होगी। इसके लिए राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठनों को सामाजिक समस्याओं का न्यायोचित समाधान करके ही उनको अहिंसा का पाठ पढ़ाया जा सकता है। इसी से व्यक्ति को व्यक्ति से एवं राष्ट्र को राष्ट्र से जोड़ा जा सकता है और विश्व में शान्ति स्थापित की जा सकती है। सन्दर्भ १. हरिजन, ७ सितम्बर, १९३५. २. नवजीवन, ३१ मार्च १९२९ ३. प्रभा बेन का लिखा पत्र, ५ फरवरी, १९३२. ४. कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी, खण्ड ५०, पृ० २०७. ५. उपरोक्त, खण्ड ५०, पृ० २१२ ६. उपरोक्त, खण्ड ५०, पृ० २१२. ७. हरिजन, १९ दिसम्बर, १९३६. ८. यंग इण्डिया, ३१ अक्टूबर १९२९ ९. . यंग इण्डिया, ३ जनवरी, १९२९. १०. कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी, खण्ड ४४, पृ० १८७. ११. हरिजन, १ सितम्बर, १९४०. १२. गोपीनाथ धवन, सर्वोदय दर्शन, पृ० ७४. १३. गांधी मार्ग, मई-जून १९८९, पृ० ११ १४. नवजीवन, २१ जुलाई १९२९ १५. हरिजन, ३० अप्रैल १९३८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525046
Book TitleSramana 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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