________________
२४
Videhas of Mithila were, however, the most important.
Geography of Early Buddhism, page 30. अर्थात् मिथिला विदेह की राजधानी थी। महात्मा बुद्ध के समय वज्जीसंघ के आठ प्रमुख संघों में से एक थी। ग. वैदिक ग्रन्थों में
(१) शतपथब्राह्मण के प्रथम काण्ड (४अ० १आ०) के अनुसार विदेह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसे विदेह माथव ने बसाया था।
'सहोवाच। विदेहो माथव: क्वाहं भवानीत्यत एवहे प्राचीनं भुवनमिहि होवाच। सैषा तर्हि कोशलविदेहानां मर्यादा तर्हि माथवा:।१७। (२) शक्तिसंगमतन्त्र में लिखा है
गण्डकीतीरमारभ्य चम्पारण्यान्तकं शिवे।
विदेहभूः समाख्याता तीरभुक्ताभिधो मनुः।। गण्डकी नदी से शुरू होकर चम्पारन तक का प्रवेश विदेह अथवा तीरभुक्त (तिरहुत) नाम से प्रसिद्ध है।
(३) बृहविष्णपुराण के मिथिलाखण्ड में निम्न श्लोक हैं। वहाँ पाराशर और मैत्रेय के सम्वाद में वैदेही तथा मिथिला का वर्णन है।
एषा तु मिथिला राजन् विष्णुसायुज्यकारिणी।
वैदेही तु स्वयं यस्मात् सकृत् अन्थिविमोचिनी।। और भी
गङ्गाहिमवतोर्मध्ये नदीपञ्चदशान्तरे । तैरभुक्तरिति ख्यातो देशः परमपावनः ।। कौशिकी तु समारभ्य गण्डकीमधिगम्य वै। योजनानि चतुर्विंशत् व्यायामः परिकीर्तितः।। गङ्गाप्रवाहमारभ्य यावद्धैमवतं वनम्। विस्तारः षोडशः प्रोक्तो देशस्य कुलनन्दनः ।। मिथिला नाम नगरी नमास्ते लोकविश्रुता।
पञ्चभिः कारणैः पुण्या विख्याता जगतीत्रये ।। इन श्लोकों के अनुसार विदेह के पूर्व में कौशिकी (आधुनिक कोशी) पश्चिम में गण्डकी, दक्षिण में गंगा और उत्तर में हिमालय है। पूर्व से पश्चिम की ओर १८० मील (२४ योजन) और उत्तर से दक्षिण में १२५ मील (१६ योजन) है। इस तैरभुक्त
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org