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भद्रारिमेदमाण्डव्यसाल्वनीपोज्जिहानसङ्ख्याताः। मरुवत्सघोषयामुनसारस्वतमत्स्यमाध्यमिकाः ।।२।। माथुरकोपज्योतिषधर्मारण्यानि शूरसेनाश्च । गौरग्रीवोद्देहिकपाण्डुगुडाश्वत्थपाञ्चालाः ।।३।। साकेतकङ्ककुरुकालकोटिकुकुराश्च पारियात्रनगः।
औदुम्बरकापिष्ठलगजाहयाश्चेति मध्यमिदम् ।।४।।
अर्थात् भद्र, अरि, मेद, माण्डव्य, साल्व, नीप, उज्जिहान, मरु, वत्स, घोष, यमुना से सम्बद्ध प्रदेश, सारस्वत, मत्स्य, मथुरा, कोप, ज्योतिष, धर्मारण्य, शूरसेन, गौरग्रीव, उद्देहिक, पाण्डु, गुड, अश्वत्थ, पाञ्चाल, साकेत, कङ्क, कुरु, कालकोटि, कुकुर, पारियात्र, औदुम्बर, कापिष्ठल और हस्तिनापुर मध्यदेशान्तर्गत प्रदेश है।
विदेह इस मध्यदेश अथवा आर्यावर्त के अन्तर्गत एक प्रदेश (प्रान्त) विदेह था, जिसका ऊपर निर्देश किया गया है। इसके सम्बन्ध में जैनों, बौद्धों और वैदिकों ने पर्याप्त लिखा है।
क. जैनों के मतानुसार विदेह जनपद था और उस की राजधानी मिथिला' थी।
(१) इहेव भारहे वासे पुव्वदेसे विदेहानाम जणवओ, संपइकाले तिरहुत्तिदेसो त्ति भण्णइ। .......तत्थ......मिहिला नाम नयरी हुत्था। संपयं जगइत्ति पसिद्धा। एयाए नाइदूरे जणयमहारायस्स भाउणो कणयस्स निवासट्ठाणं कणइपुरं वट्टइ।
विविधतीर्थकल्प, पृष्ठ ३२. इसी भारतवर्ष में पूर्वदेश में विदेह नामक का जनपद था जो ग्रन्थकर्ता के समय में तिरहुत नाम से प्रसिद्ध था। .......वहाँ....... मिथिला नाम की नगरी थी। अब 'जगई' नाम से भी प्रसिद्ध है। इसके निकट में जनक महाराज के भाई कणक का निवास स्थान कनकीपुर है। (२) 'मिहिल विदेहा य' - मिथिलानगरी विदेहाजनपदः।
प्रवचनसारोद्धार वृत्तिसहित, पत्र ४४६. ख. बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार विद्वानों ने विदेह पर निम्न प्रकाश डाला है।
Mithila was the Capital of the Videhas and is celebrated in the Epics as the land of King Janaka. At the time of Buddha the Videha country was one of the eight constituent principalities of the Vajjain confederacy. Of these eight principalities the Licchavis of Vesali and the
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