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अहिंसा का जो नकारात्मक रूप है उसकी ओर सबका ध्यान गया है पर उसका जो सकारात्मक रूप है उस पर कम ध्यान दिया गया। सकारात्मक रूप क्षमा, करुणा, दया, दान और निस्वार्थ सेवा के रूप में अभिव्यक्त होता है।
यद्यपि विश्व के धर्मों को मानने वालों की तुलना में जैनधर्म के मानने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन अपने धर्म के प्रति निष्ठा, अहिंसा एवं सदाचार का पालन, व्यसन मुक्त जीवन आदि को महत्त्व देने के कारण कम संख्या के होते हुए भी जैन समाज ने अपनी विशिष्टता भारत एवं विदेशों में स्थापित की है।
जैन साधु और साध्वी अपनी सादगी, अकिञ्चनता, त्याग और तपस्या की भावना, पैदल विहार तथा पूर्ण अपरिग्रह का पालन करने के कारण सुविख्यात हैं और सारे विश्व में सम्मानित हैं। सिद्धान्तों की कठोरता तथा आचरण की दुरूहता के कारण उनकी संख्या अवश्य ही कम है; किन्तु जैनधर्म का प्रचार-प्रसार करने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
लेकिन वर्तमान में जैन समाज कुछ समस्याओं से ग्रसित हो गया है। प्रामाणिकता में कछ कमी आयी है। पहले जो रात्रिभोजन के त्याग का काफी पालन होता था वह अब नागरिक सभ्यता व जीवन की जटिलताओं के विकास के कारण काफी कम हो काया है। पहले जैन अपने शुद्ध एवं सात्विक शाकाहारी भोजन के कारण प्रसिद्ध थे पर आज बहुत से लोग खान-पान एवं रहन-सहन का कड़ाई के साथ पालन नहीं कर रहे हैं। जैनधर्म में हिंसा के त्याग का पूर्ण महत्त्व है पर आज आजीविका, उद्यम एवं व्यापार में हिंसा, सत्य-असत्य व चौर्य-अचौर्य का कोई विवेक नहीं रह गया है। दैनिक जीवन में सामायिक-प्रतिक्रमण, उपवास एवं व्रतादि के पालन में भी कमजोरी आयी है। साधु वर्ग में भी नियमों व आचार के पालन में कुछ शिथिलता आयी है।
आज साधुओं एवं श्रावकों के आचार के लिये एक सर्वसम्मत आचरण संहिता (Code of Conduct) बनाने की आवश्यकता है। हमारे सभी वरिष्ठ साधुओं, साध्वियों, श्रावकों एवं श्राविकाओं को बैठकर मिलकर इसे तैयार करना चाहिए। श्रावकों के लिये जो आचार-संहिता बने उसमें मुख्य रूप से निम्न नियमों का पालन रखा जाय
१. शाकाहार का पालन, २. रहन-सहन में सादगी, ३. व्यसनमुक्त जीवन, ४. आजीविका, व्यापार एवं उद्यम में हिंसा का त्याग, ५. व्यक्तिगत जीवन में प्रामाणिकता एवं नैतिकता का व्यवहार।
सबसे बड़ी बात है कि आज चारों ओर मुर्गी, अण्डे, मांसाहार व मत्स्याहार का जो प्रचार हो रहा है तथा नये-नये कत्लखाने बन रहे हैं उनका सारा जैन समाज सामूहिक रूप से विरोध करे। शाकाहार वैज्ञानिक दृष्टि से स्वास्थ्य के लिये हितकारी
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