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जैन कला निकेतनों में चालुक्य शैली ने अपना प्रभाव भी स्पष्ट रूप से छोड़ा है। श्रवणबेलगोल की कम्बदहल्लि की पंचकूट बसदि में महामण्डप के सामने चालुक्य शैली के सेलखसड़ी के गोलस्तम्भ का खुला हुआ अग्रमण्डप जोड़ा गया है। इसमें नवरंग शैली की स्तम्भ योजना पर चालुक्य शैली का स्पष्ट प्रभाव है। चामुण्डरायवसति के स्तम्भ भी परवर्ती चालुक्य शैली से प्रभावित माने जा सकते हैं। यहाँ यह स्पष्ट है कि चालुक्यों ने स्थापत्य शैली के क्षेत्र में एक नयी शैली को जन्म दिया है। ___ निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि चालुक्य नरेशों ने जैनधर्म के प्रचार-प्रसार में मुक्तभाव से योगदान दिया है। श्रवणबेलगोल का जहाँ एक सन्दर्भ है, उन्होंने उसके विकास में प्रत्यक्ष रूप से भले ही कुछ न किया हो, पर अप्रत्यक्ष रूप से उनका सहयोग अवश्य रहा है। यहां के शिलालेखों में उनका विविध उल्लेख यही तथ्य उद्घाटित करता है।
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