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अगर चंदन कपूर कस्तूरी, फिरिकि संजूती तिहां भरी। बेउं करि जोड़ी पेजलि वीनवइ, पूजाहट केसरि चडी।।८।।
इति प्रथम पूजा देहराभर मांडगी
विधि पूजोपचार आम्नाय मांडणी विधि विचार संबंध प्रथम संपूर्ण: समजनिः॥ अथ प्रथम पवित्र वाजोठ पाटलं अपूर्व मांडीयइ पारवाली नइ उत्तम जले करीनइ पछइ केसर कपूर अगर सूकड़ि कस्तूरी ए पांच मिश्रित गोशीर्ष चंदनइ करी नइ पाटल तथा बाजवटइ साथीयउ आलेखीयइ पछइ लीइटी ३ आलखीयइ आगलि।।
ने फूल केसर कपूरादि पूजा सर्व ऊपरि चडावणी पछइ श्रीगुरुभ्यो नमः श्रीपरम गुरुभ्यो नमः॥ श्री परापर गुरुभ्योनमः।। श्री परमेष्टी गुरुभ्यो नमः।। सर्वाशा परिपूरकाय श्रीमान् महागणपति चिंतामणए नमः सकल विघ्नवल्ली विध्वंशन कुठाराय।। श्री सिद्धिनाथायनमः।। सिवेसिमें देहि स्वाहा।।
अविरल मदजल निवहं, भ्रमरकलानेक सेवित कपोल अभिमत फलं दातारं, कामेशं गणपति वंदे स्वाहा।।
इति नागराज पूजन विधिः।।
।। श्री धन्वंतरये नमः।।
पूरब दिशि नव गमण पाटण, उत्तरा वनहि मझारि। लक्ष्मीकरण राजा पारधि खेलइ, बहइ तुरंग पयालि। पारधि पायालि द्वारि सवि रंग मिलिया झिलिमिलि कुंडल कानि। रमई झीलई मिल्यां अहो विष डंक सुणि हो आदि कहाणी।।१।।
लक्ष्मीकरण राजा लीलादे राणी, अहो विष डंक सुणिहो आदि कहाणी।।२।।
कवण सुकेरी बेट की कवण पुरुष तौ जोइ काल कंकोड़ छइ माहरो भाई। अहो विष डंक सुणिहो आदि कहाणी।।३॥
नारद ऋषि संप्राप्ता ऋषि भणीउ उकार। तिहिं कर कंकणि बंधिओ। अहो विष डंक सुणिहो आदि कहाणी। लक्ष्मीकरण राजा लीलादे राणी॥४॥
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