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।। ॐ नमो श्री नागाय नमः।। नाग-विद्या
राग-गोंडी
नगर हीरापुर पाटण भणियइ, मांहि टकेसर देव। नमणि करडं वर नाम ले नइ, करुं तुम्हारी सेव।। पारधि करुं तुम्हारी सेव॥ वासिग राउ तेडाविया, काल कंकोड नइ तिथिरा कुयर अवि घण वेगे बोलाविआ। नाद वेद आणंद अधिक, करइ तुम्हारी सेव नगर हीरापुर पाटण भणियइ, माँहि टकेसर देव।।१॥
राउ देरासरि बइठों, आणे निरमल नीर। डंक गयुं भागीरथी, समुद्रहँ पैंलइ तीरि। नीर लेवा डंक मोकलिउ, लागी अति घण वार आप सवारथ पाडिउं लोभी, समुद्रह पैलइ पारि।२।।
सहस अठ्यासी तिहाँ देवता, जाइ तिणि वन बइठा गंग तणुं प्रवाह न आण्यउ, राउ देहरासरि बइठा।।३।।
राय मोकल्या छइ वाडी, आणे सुरही जाय। आणे करणी केवडी, आणे रुडइ भावि।।४।।
आणे सुरही पात्री, आणे तुलछी नइ बाबची। कण कणवीर रात की जाइ, बिल करणउ केवड़उं। राय मुल कंदनि सारी। पुष्प करंड भरी आवइ, तेह कां राय मोकल्या छै वाडी।।५।।
पूजा हटकेसर वडी, वल्या नीसाणे घाउ। नागणि करइ वधामणुंउ पन्नग करइ उच्छाह।।६।।
करइ उछाह तिहां पन्तग राजा, वासग नाग तेडाविया। अगर चंदन कपूर कस्तूरी होमइ, भगति करइतिहाँ भाविया।॥७॥
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