SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्नय सेस महीरुह अत्थि जि ससिवयणि, मुणइ णामु तह कवणु सरोरुहदलनमणि । अह सव्वइ संखेविणु निवड निरंतरिण, जोयण दस गंमिज्जइ तरुछायंतरिण । । ९ और यह वर्णन आधा भी नहीं है। जो अधूरा वर्णन है वह तत्कालीन जनरुचि का विस्तार से परिचय देता है तथा प्रकृति और मनुष्य के एकात्म सम्बन्ध का दर्शन कराता है। इससे उनकी संस्कारशीलता का परिचय भी मिलता है। हम आजके इस जीवन की तुलना उस जीवन से करके कुछ ठोस निष्कर्षो तक पहुँच सकते हैं। सन्देश रासक के तृतीय प्रक्रम में ऋतुओं का वर्णन है । विरहिणी नायिका का ग्रीष्म का वर्णन करते हुए कहती है जम जीहह जिम चञ्चलु णहयलु लहलहइ, asases घर तिडइ ण तेयह भरु सहइ । अइउन्हउ वोमयलि पहंजणु जं वहइ, तं झंखरु विरहिणिहि अंगु फरिसिउ दहइ । । १० स्पष्ट है कि ग्रीष्म में नभतल यम की जिह्वा जैसा लपलपाता है, पृथ्वी ताप सहन न कर पाने के कारण तड़-तड़ शब्द करते हुए जगह-जगह से चटक जाती है और उष्ण प्रभंजन बहता है। इसी प्रकार वर्षाऋतु में आकाश में भयानक तड़ित चमकती है, उसके प्रकाश से पगडण्डी चमकती है, तृप्त पपीहे मधुर शब्द करते हैं और बादलों के नीचे बक पंक्ति शोभा पाती है । ११ बहुत पानी बरसने के कारण जलाशय भर गए हैं, उनमें मेढक जोर-जोर से टर्राने लगे हैं और आम की चोटी पर कोकिल कूकने लगी है। १२ शरद ऋतु आने पर प्रकृति का सहज उल्लास लौट आता है । नायिका कहती है २५ गय विद्दरवि बलाहय गयणिहि, मणहर रिक्ख पलोइय रयणिहि । हुयउ वासु छम्मयलि फणिदह, फुरिय जुन्ह निसि निम्मल चंदह । । Jain Education International १३ इससे आगे वह कहती है कि सरोवरों का जल शत पत्रिकाओं से और नदियों का जल लहरों से शोभित हो गया है। ग्रीष्म द्वारा हरण कर ली गई इनकी शोभा शरद के साथ लौट आई है। हंस कमलों का रसपान करके मधुरस्वर करने लगे हैं। इसके पश्चात् सन्देशरासक की नायिका हेमन्त और शिशिर का वर्णन करती है। हेमन्त में For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525043
Book TitleSramana 2001 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2001
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy