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गुरुदेव महान्
लब्धि सूरिश्वर गुणनी खाण प्रातः उठीने करो गुणगान । नाम जपंता कोटी कल्याण दिन दिन पाये कर्मनी हान, उदार सरलता गंभीर महान्, निंदा विकथा जरा नहि जान
दोष वाद मां मूक समान,
गुण गावामां गुणी महान्, गुरु भक्ति मां बनो एक तान,
मलशे तमने समकित दान प्रभु वाणी नुं कराव्युं पान, आव्युं हमारूं ठेकाणे भान, प्रगट करावों अमारूं ज्ञान, " विनती करेछे तारो जजमान
मोहराजाओ कर्यो हेरान, आत्मबागने कर्यो वेरान
तारी कृपा जौ प्रगटे अमान, अर्मानो वालु कच्चड घाण तारो उपकार अम पर महान, गावुं तमारा नित्य गुणगान, आत्म कमल मां बनो ओक तान, जयंत करे छे सदा सन्मान
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- आचार्यश्री जयंतसूरि जी म.
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