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________________ ७० कर रहे थे। उस गन्धकुटी में सुवर्ण-सिंहासन सजा था, जिसकी सतह या तलभाग से चार अंगुल ऊपर ही अधर में महामहिमामय भगवान् ऋषभदेव विराजमान थे। भ्रमरों द्वारा फैलाये हुए पराग से रंजित तथा गंगाजल से शीतल पुष्पों की वृष्टि भगवान् के आगे हो रही थी (द्र० त्रयोविंश पर्व)। भगवान् के समीप ही अशोक का विशाल वृक्ष था जिसके हरे पत्ते मरकतमणि के थे और वह रत्नमय चित्र-विचित्र फूलों से सुशोभित था। उसकी शाखाएँ मन्द-मन्द वायु से हिल रही थीं। उस पर भ्रमर मद से मधुर आवाज में गुंजार कर रहे थे और कोयलें कूक रही थीं, जिससे ऐसा जान पड़ता था कि अशोक वृक्ष भगवान् की स्तुति कर रहा हो। भौरों के गुंजार और कोयलों की कूक से दसों दिशाएँ मुखरित हो रही थीं। अपनी हिलती शाखाओं से अशोक वृक्ष ऐसा लगता था जैसे वह भगवान् के आगे नत्य कर रहा हो और अपने झड़ते फूलों से वह भगवान् के समक्ष दीप्तिमय पुष्पांजलि अर्पित करता-सा प्रतीत होता था। इस सन्दर्भ में 'भुजगशशिभृता' और 'रुक्मवती' वृत्त में आबद्ध महाकवि की रमणीय काव्यभाषिक पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं : मरकतहरितैः पत्रैर्मणिमयकुसुमैश्चित्रैः। मरुदुपविधुताः शाखाश्चिरमधृत. महाशोकः।। मदकलविरुतै ङ्गैरपि परपुष्टविहङ्गैः। स्तुतिमिव भर्तुरशोको मुखरितदिक्कुरुते स्म।। (भुजंगशशिभृतावृत्त) व्यायतशाखादोश्चलनैः स्वैर्नृत्तमथासौ कर्तुमिवाने। पुष्पसमूहैरालिभिद्धं भर्तुरकार्षीत् व्यक्तमशोकः।। (रुक्मवतीवृत्त, पर्व २३, श्लोक ३६-३८) यह पूरा अवतरण गत्वर चाक्षुष बिम्बों का समाहार बन गया है, जिसमें महाकवि जिनसेन ने गन्ध से अन्ध भ्रमरों के माध्यम से जहाँ घ्राणेन्द्रिय द्वारा आस्वाद्य घ्राणबिम्ब की अवतारणा की है, वहीं गंगाजल से शीतल पुष्पों में त्वगिन्द्रिय द्वारा अनुभवगम्य स्पर्श-बिम्ब का भी आवर्जक विनियोग किया है। साथ ही, यहाँ अशोक वृक्ष में मानवीकरण की भी विनियुक्ति हुई है। महाकवि द्वारा प्राकृतिक उपादान अशोक वृक्ष में मानव-व्यापारों का कमनीय आरोप किया गया है। वस्तुत: यह मानवेतर प्रकृति के वानस्पतिक उपादानों में चेतना की स्वीकृति है। साथ ही, यहाँ प्रस्तुत का अप्रस्तुतीकरण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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