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________________ ४२ को प्राप्त होता है। वेयग जुई पंच विहं, तं तु हु पुंजर कई मिच्छई यस्स। खयकाल चरम समए, सुद्धाणुय वेयणे वेयगो होई।।२०।। वेदक सम्यक्त्व के पाँच भेदों में मिथ्यात्व मोहनीय वा मिश्रमोहनीय रूप द्विपुंज के क्षयकाल के चरम समय में उपशम से सम्यक्त्व प्रकृति का शुद्ध वेदन रूप वेदक सम्यक्त्व होता है। अंतमुहुत्तोवसमो, छावलि सासाणु वेयगो समउ।६ साहि य तेत्तीसायर, खईउ दुगुणो खउसमो।।२१।। उपशम सम्यक्त्व की स्थिति अन्तर्मुहूर्त की होती है। सासादन सम्यक्त्व की छह आवली की, वेदक सम्यक्त्व की स्थिति एक समय की, क्षायिक सम्यक्त्व की स्थिति तैतीस सागर की तथा क्षायोपशमिक की स्थिति द्विगुणित अर्थात् छयासठ सागर होती है। उक्कोसं सासायण, उवसिया हुंति पंच वारा उ। वेयग खाइग इक्कंमि, असंख्य वारा उ खउवसमो।।२२।। सासादन अधिक बार होता है, उपशम सम्यक्त्व पांच बार आता है, क्षायोपशमिक सम्यक्त्व असंख्य बार आ सकता है, किन्तु वेदक, क्षायिक सम्यक्त्व की स्थिति एक बार ही होती है। अर्थात् पुन: वापिसी नहीं होती। बीय गुणे सासाणो, तुरिया सु अट्ठगार चउ च वसु। उवसम खयग वेयग, खाउवसमीक मा हुति।।२३।। इस गाथा का अर्थ स्पष्ट नहीं हो सका। फिर भी यह कहा जा सकता है कि सासादन गुणस्थान में तीर्थङ्कर, आहारक की चौकड़ी, भुज्यमान व बद्धमान आयु के अतिरिक्त कोई भी दो आयु से सात प्रकृतियाँ छोड़कर १४१ का सत्त्व है, परन्तु कोई आचार्य इनमें से आहारक की चार प्रकृतियों को छोड़कर केवल तीन प्रकृतियां कम १४५ का सत्त्व मानते हैं। आचार्यश्री कनकनन्दी के सम्प्रदाय में उपशम श्रेणी वाले चार गुणस्थानों में अनन्तानुबन्धी चार का सत्त्व नहीं है। इस कारण २४ स्थानों में से बद्ध व अबद्धायु के आठ स्थान कम कर देने पर १६ स्थान ही हैं और क्षपक अपूर्वकरण वाले पहले आठ कषायों का क्षय करके पीछे १६ आदिक प्रकृतियों का क्षय करते हैं। कोई आचार्य अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में मायारहित चार स्थान हैं, ऐसा मानते हैं तथा कोई स्थानों ६. काल के सबसे सूक्ष्म अंश को समय कहते हैं। ऐसे असंख्यात समयों की एक आवली होती है। छह आवली काल एक मिनिट से भी छोटा होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525040
Book TitleSramana 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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