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१९५६ से १९६६ तक आ० काकासाहेब कालेलकर के साथ राष्ट्र-सेवा और हरिजन-सेवा आदि कार्यों में रत रहे और गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, मंगल प्रभात, श्रम साधन केन्द्र, विश्व समन्वय केन्द्र तथा गांधी विचारधारा को पुष्ट करने वाली सर्वोदयी संस्थाओं में योगदान देने का अवसर मिला।
१९६९ में मास्को में विश्व-शान्ति परिषद में जैनधर्म का प्रतिनिधित्व किया और समतामूलक जैन धर्म के 'साम्यभाव' पर व्याख्यान दिया। मास्को रेडियो में व्याख्यान देने और रशिया के कई नगरों का पर्यटन करने में भी आपको मौका मिला।
१९७४-७५ में भगवान् महावीर २५वीं निर्वाण शताब्दी महोत्सव की राष्ट्रीय समिति के मन्त्री रहे और महोत्सव की सफलता में सक्रिय सहयोग दिया। १९८५ जैन मिलन इण्टरनेशनल, दिल्ली की संस्था ने आपकी सेवाओं का आदर करते हुए 'सन्निष्ठ समाजसेवी' की उपाधि प्रदान की। इसी वर्ष आप पार्लियामेण्ट ऑफ वर्ल्ड रिलिजन्स में प्रतिनिधि वक्ता के रूप में अमेरिका गये।
आपने जहाँ और जो भी काम किया, पूरी निष्ठा और तन-मन लगाकर किया। यही कारण है कि उन्होंने अपने प्रशंसकों की बड़ी मण्डली प्राप्त की। पार्श्वनाथ विद्यापीठ अपने पूर्व व्यवस्थापक एवं विख्यात समाजसेवी श्री शान्तिभाई को उनके निधन पर हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता है।
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