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________________ १७२ के लिये संस्थान ने पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर से मान्यता प्राप्त करने के लिये आवेदनपत्र प्रस्तुत किया है। विश्वास है, यथाशीघ्र इसके लिये अनुमति प्राप्त हो जायेगी। जैसे ही अनुमति प्राप्त होती है, संस्थान कतिपय विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी आयोजित कर सकेगा। - इसी तरह जैन विश्वभारती, लाडनं से भी सम्बद्धता प्राप्त करने के लिये आवेदनपत्र प्रस्तुत किया गया है, परन्तु अभी तक वहाँ से कोई प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं हुआ है। अनुदान प्राप्ति हेतु आवेदन संस्थान ने उच्चतर एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन से अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को मूर्तरूप देने के लिये अनुदान प्राप्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत किया है और इसी प्रकार भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान नामक महत्त्वपूर्ण विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने का भी प्रस्ताव भेजा है। अन्य सामाजिक-धार्मिक गतिविधियाँ ४ सितम्बर को संस्थान के निदेशक डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' का फरीदाबाद में डॉ० सुव्रतमुनि की अध्यक्षता में अध्यात्मवाद पर व्याख्यान हुआ। ८ सितम्बर को उन्होंने नागपुर में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य श्री राजयशसूरि जी महाराज से भेंट कर उन्हें संस्थान के प्रगति की जानकारी प्रदान की। ३ अक्टूबर को निदेशक महोदय की अध्यक्षता में श्री गणेशवर्णी दिगम्बर जैन शोध संस्थान, वाराणसी द्वारा भगवान् पार्श्वनाथ दिगम्बर जन्मभूमि मन्दिर परिसर में प्रो० एस०डी० वसन्तराज का द्वितीय व्याख्यान आयोजित किया गया। इसी मन्दिर परिसर में ही वसुनन्दि श्रावकाचार की वाचना के अवसर पर उनका एक व्याख्यान हुआ। ४ और ६ अक्टूबर को विद्यापीठ परिसर में जैन साहित्य और संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान् स्व० डॉ० हीरालाल जैन जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रो० एस०डी० वसन्तराज, पूर्व अध्यक्ष, प्राकृत एवं जैन विद्या विभाग, मैसूर व मद्रास विश्वविद्यालय और प्रो० सत्यपाल नारंग, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्यान हुए।२४ अक्टूबर को निदेशक महोदय ने भगवान् पार्श्वनाथ श्वेताम्बर जन्मभूमि मन्दिर परिसर में आयोजित जैन मिलन की बैठक में भाग लिया और वहाँ के भूमिपूजन समारोह में भी सम्मिलित हुए। २ नवम्बर से ४ नवम्बर तक यहाँ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में International Seminar on Buddhism का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर भागचन्द्र जैन को उसकी सलाहकार समिति में भी समायोजित किया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525039
Book TitleSramana 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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