SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का समय चौदहवीं शती है। अर्हद्दास का समय विक्रम से तेरहवीं शती का अन्तिम् । चरण और चौदहवीं का प्रथम चरण है। प्रस्तुत ग्रन्थ में पाँच परिच्छेद हैं, जिनमें श्लोकों की संख्या क्रमश: १०३, ८६, ४१, ३४५ और ३००-कुल ७७५ है। गद्य रूप में लिखी गई वृत्ति की संख्या पृथक् है। इस रचना में कविशिक्षा, शब्दालंकार, अर्थालंकार, गुण-दोष और रस आदि पर प्रकाश डाला गया है। यहाँ शब्दालंकारों का इतना अधिक वर्णन है जितना अन्य जैन अलंकार ग्रन्थों में नहीं है। जैनेतर ग्रन्थों में भी भोज के सरस्वतीकण्ठाभरण को छोड़कर अन्य में नहीं है। अलंकारों में उपमा का बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है। दण्डी को छोड़कर इतना अधिक इस ढंग का वर्णन अन्य ग्रन्थों में नहीं मिलता। इस रचना का अलंकार-विवेचन हृदयग्राही है, अत: अलंकारचिन्तामणि नाम सार्थक है। अलंकारों के पारस्परिक सूक्ष्म अन्तर को बतलाने के लिये इस ग्रन्थ के चौथे परिच्छेद के प्रारम्भ में जो प्रकाश डाला गया है, वह अन्य ग्रन्थों में एकत्र नहीं मिलता। यों अन्य ग्रन्थों में भी खोजने पर मिल सकता है, किन्तु एक ही स्थान में इतना अधिक विवेचन मेरे देखने में नहीं आया। यहाँ नाटकीय तत्त्वों को छोड़कर शेष अलंकार शास्त्र सम्बन्धी सभी बातों पर विशद प्रकाश डाला गया है। आचार्य अजितसेन ने ध्वनि की परिभाषा मात्र बतलाकर ग्रन्थ विस्तार भय से उसका विवेचन नहीं किया। शब्दालंकार का विवेचन अर्थालंकार के विवेचन की अपेक्षा कठिन होता है, किन्तु अजितसेन ने उसे भी सरल बनाने का पूर्ण प्रयत्न किया है। श्लोक पढ़ते ही समझ में आ जाते हैं। चित्र-प्रकरण में अक्षरच्युत प्रश्नोत्तर का सुन्दर और मनोरञ्जक उदाहरण देखियेप्रश्न: - क: पंजरमध्यास्ते? कः पुरुष निस्वनः। कः प्रतिष्ठा जीवानां? कः पाठ्योक्षऽरच्युतः? ।। उत्तर:- शुक: पंजरमध्यास्ते काकः परुषनिस्वनः। लोकः प्रतिष्ठा जीवानां श्लोकः पाठ्योऽक्षरच्युतः।।२/३१-३२। प्रथम पद्य में चार प्रश्न किये गये हैं- पिंजरे में कौन बन्द किया जाता है? - कर्कश स्वर वाला कौन होता है? जीवों का आश्रयस्थान क्या है? अक्षर छोड़कर किसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525039
Book TitleSramana 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy