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________________ जैन-जगत् : २०१ भावार्य सम्राट श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज का महाप्रयाण PRASTROM श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्रमुनि जी महाराज का दि० २६ अप्रैल १९९९ को प्रातःकाल मुम्बई में मात्र ६८ वर्ष की आयु में निधन हो गया। आप पिछले कुछ समय से हृदयरोग से पीड़ित थे। वर्ष १९९८ का इन्दौर का ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्णकर आपश्री मुम्बई पधारे थे। आपके निधन का समाचार सुनते ही सर्वत्र शोक की लहर फैल गयी और देश के कोने-कोने से बहुत बड़ी संख्या में भक्तजन आपश्री के अन्तिम दर्शनार्थ पहुँचने लगे। आपके अन्तिम दर्शन हेतु जैनधर्म के सभी सम्प्रदायों के लगभग २५० साधु-साध्वी तथा विशाल संख्या में जैनधर्मानुयायी उमड़ पड़े। जैन तत्त्व विद्या के सप्रसिद्ध लेखक, सतत अध्ययनशील एवं चिन्तन-मनन में लीन आचार्यश्री से सम्पूर्ण देश सुपरिचित है। वि०सं० १९८८ ई० स० १९३२ में उदयपुर में जन्मे श्री देवेन्द्रमुनि जी मात्र ९ वर्ष की लघु आयु में पूर्व संस्कारों से प्रेरित होकर राजस्थानकेशरी उपाध्यायश्री पुष्करमनि जी महाराज के पास दीक्षित हो गये। अपने तीक्ष्ण प्रतिभा व व्युत्पन्न मेधा के बल से अल्पकाल में ही आपने संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं तथा दर्शन, न्याय, इतिहास व आगम साहित्य का तलस्पर्शी अध्ययन किया। जैनदर्शन, इतिहास, आगम साहित्य, योग आदि विषयों पर जहाँ आपने शोधप्रधान ग्रन्थों की रचना की है वहीं जीवन चरित्र, कथा साहित्य, उपन्यास, रूपक आदि विविध विषयों पर भी आपने अपनी लेखनी चलायी है। छोटी-बड़ी लगभग ३५० ग्रन्थों का लेखन-सम्पादन कर आपने इस क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। आचार्यश्री के आकस्मिक देहावसान से न केवल जैन समाज अपितु विश्व ने अपना प्रखर चिन्तक, महान् समाजसुधारक और शान्ति का मसीहा खो दिया है। समाज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525037
Book TitleSramana 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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