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________________ २०० : श्रमण / अप्रैल-जून/ १९९९ शोक समाचार विश्वविभूति श्री शशि भाई का महाप्रयाण अध्यात्मयोगी पू० गुरुदेव श्री कानजीस्वामी एवं प्रशममूर्ति पू० श्री चंपाबहेनके अंतेवासी, अध्यात्म के ज्ञाता एवं अनुभवदृष्टि सम्पन्न पू० भाई श्री शशि का दिनांक २२.३.१९९९ को प्रातः काल ४.१५ बजे आत्मसमाधिपूर्वक महाप्रयाण हुआ। सूक्ष्म अन्तरंग अनुभवदृष्टि सम्पन्न, ज्ञानीपुरुषों के प्रति एवं देव-शास्त्र-गुरु के प्रति असीम भक्ति के धारक, जिनवाणी के परमभक्त, जैन दर्शन के स्तम्भ ऐसे पू० 'भाईश्री' एक विरल और बेजोड़ व्यक्तित्व हमारे बीच आज नहीं रहे। दिनांक २३.३.१९९९ को सुबह उनके निवासस्थान से शवयात्रा निकली जो भावनगर के मुख्य-मुख्य स्थानों से होती हुई श्री विमलभाई तंबोळी की वाड़ी जा कर समाप्त हुई और वहाँ पर उनके नश्वर देह का अन्तिम संस्कार किया गया। उनके निधन का समाचार प्राप्त होते ही बम्बई, कलकत्ता, कोबा, मद्रास, कोयम्बटूर, सुरत, अहमदाबाद आदि स्थानों से सैकड़ों मुमुक्षुवृन्द पहुँच गये थे। विशाल मुमुक्षु समुदाय के साथ निकली उनकी शवयात्रा में भक्ति एवं जिनेन्द्र भगवान् के जय-जयकार के साथ उनके स्नेहीजन, शहर के उद्योगपति, अन्य विद्वानों एवं जनसमुदाय ने भाग लिया। Jain Education International - दिनांक २४..३.१९९९ के दिन सत्संग के बाद उनके प्रति श्रद्धानिष्ठ समस्त मुमुक्षुओं ने उनके दर्शाये हुए मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प किया। इस मार्ग की प्रभावना हेतु रु० ८० लाख की दान राशि की घोषणा भिन्न-भिन्न कार्यों के लिये हुई। श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट द्वारा पूज्य भाईजी की स्मृति में १० वर्षीय बृहद् योजना भी प्रस्तुत की गयी है। - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525037
Book TitleSramana 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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