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________________ श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९९ गच्छ भार निर्वाहक वृषभान् समितिगुप्त्यादि विराजमानान् पंचाचारनिरतिचार पालकान् विमलजनवांछितार्थप्रापकान् समग्रगुणगणारोहणाचलान् विमलयश:पूरपूरितदिग्मुखान् सद्देशनारंजित भविकलोकनिकरान् अनेकागम रहस्य कोविदान् सल्लब्धिसागर गौतम गणधरसन्निभान् सकलकलाकलापकौमुदीपतिसन्निभान मिथ्याततमःप्रध्वंसकतरणीन साध द्विरदयूथादिपतीन् अभिवेशागमाजित बुद्धिनेत्रान् समुद्दचरणमुनिजन वांछित सूत्रार्थ प्राप कल्पद्रुमान् मिथ्यात्वमत्तद्विपश्रेणिकेसरी प्रकरसन् अज्ञान परम शत्रुध्वांतविदारण मार्तण्डान् पंचमहाव्रत पंचविंशतिभावनासमन्वितान् गुणगण गणिष्टान् विद्वज्जनवरिष्टान् सरस्वतीकण्ठाभरणान् वादिविजयलक्ष्मीशरणान् अबोध जीव प्रतिबोधकान् दया धर्म दीपावकान् हिंसाधम्म उत्थापकान् षट्जीव दयारक्षकान् राद्धांत वेदान्त-व्याकरणच्छंदोलंकार नाटक तर्क स्मृति पुराणज्ञातन् विधिकदलीकृपाणान् विज्ञश्रेणिशिरोमणीन् कुमतांधकार राशि नभोमणीन् जितवादि वृन्दान वादि गरुड़गोविन्दान् वादि घट मुद्गरान् वादिघूक भास्करान् डिंडीरपिण्डपांडुरयश: खंड मण्डितब्रह्माण्डणन् विवेक कला कमलिनी विकाशने मार्तण्डावतारान् अनवद्य गद्य पद्य-विद्या चतुर्दशधरान् परमाप्तरत्न रत्नाकरावतारान् मेरुगिरिवद्धीन सारान् क्षीरसागर तत्परमगंभीरान् विहिताचार चारु चारित्राचरणशीलान् देश जाति कुलरूपादि प्रवराचार्य धुर्य वर्य गुण गणालंकृत विग्रहान् षटत्रिंशद् गुणगण विराजमानान् पूज्यपरमपूज्य परम पवित्र पूज्याचार्यजी श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री १०९ श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री हर्षचन्द्रजी चिरंजीवी चरणकमलान् महर्षि श्री मेघराजजी महर्षि श्री सुखानन्दजी म श्री राजसीजी म श्री दुरगदास जी म श्री राजसीजी म श्री मोटाजी व्रतरागी लघु शिष्य प्रमुख समस्त साधुचरण मंडलकान् अत्रश्री मेदनीपुर थी लिखितं सदासेवक आज्ञाकारी ...... सेवक...............हीरानंद अणदाकेन वंदणावीछोजी श्रीजीसाहिब सेवकां ऊपर कृपा दया मया सौम्य निजर सुदृष्टि राखो छो तिणथी विशेष राखजो जी हमे तो श्री श्रीपूज्यजी साहिबां रा सेवक छा जी श्री जी राज सेवकां ने सेवककरी जाणज्यो जी अप्रंच इहां श्री जी रा तप तेज प्रताप करिकै सकल प्रकारे सुख शाता छै जी श्रीजी साहिब आप साता मानजो जी अत्र श्री जीना प्रसाद थी पजुसणा पर्व सुखे समाधै निर्विघ्न पणै पडिक्कभ्या छै जी पजूसणा में हमें अठाई तप कीधो हतो सो श्रीजी रा प्रसाद थी निर्विघ्नपणे थई जी आप साता मानजो जी श्री श्रीपूज्यजी साहिबांसुं देवसी पखी संवच्छरी राई चौमासी संबन्धी खमितखामणा खमावां छा जी श्री जी साहिब राज • हमारा खमित खामणा खमखोजी आप खमवा समर्थ छोजी श्रीजी साहिबां रो ध्यान
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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