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श्रमण/जनवरी-मार्च/ १९९९ उल्लेख नहीं मिलता, अत: चन्द्रकीर्तिसूरि द्वारा रचित सारस्वतव्याकरणदीपिका की प्रशस्तिगत गुर्वावली में आचार्य सोमरत्नसूरि से पूर्ववर्ती हेमरत्नसूरि, हेमसमुद्रसूरि, हेमहंससूरि, पूर्णचन्द्रसूरि आदि जिन मुनिजनों का उल्लेख मिलता है, उन्हें किस गच्छ से सम्बद्ध माना जाये, यह समस्या सामने आती है। इस सम्बन्ध में हमें अन्यत्र प्रयास करना होगा।
तपागच्छीय अभिलेखीय साक्ष्यों में हमें हेमरत्नसूरि (वि० सं० १५३३), हेमरत्नसूरि के गुरु हेमसमुद्रसूरि (वि० सं० १५१७-२८) और हेमसमुद्रसूरि के गुरु तथा पूर्णचन्द्र सूरि के शिष्य हेमहंससूरि ( वि० सं० १४५३-१५१३) का उल्लेख प्राप्त होता है। इनका विवरण इस प्रकार है: तपागच्छीय आचार्य पूर्णचन्द्रसूरि के पट्टधर हेमहंससूरि द्वारा प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों का विवरण
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क्रमांक संवत् माह तिथि दिन
संदर्भग्रन्थ १४५३ ........... सुदि |जैनलेखसंग्रह, भाग२, लेखाकं १४८९ १४६५ माघ वदि १३ बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ६१९ / १४६६ चैत्र सुदि १३ । जैनलेखसंग्रह, भाग२, लेखांक १९१७ १४६९ कार्तिक सुदि १५ | बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक, ६४१] १४७५ मार्गसिर वदि ४ जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक १२४० १४८५ माघ वदि १४ बुधवार बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक १३१४ १४८५ .......... वदि५ | वही, लेखांक ७२९ १४९० फाल्गुन सुदि ९ जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक १३२९/ १४९६ वैशाख सुदि १२ । वही, भागर, लेखांक १४८१ १४९८ फाल्गुन वदि १० वही, भाग २, लेखांक १३६७ १५०१.....वदि ६ बुधवार । | वही, भाग२, लेखांक १४८२ १५०३ ज्येष्ठ सुदि ११ शुक्रवार | बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ८६५/ १५०३ ,, ,
वही, लेखांक १४३३ १५०३ मार्गशीर्ष वदि १० | वही, लेखांक १५१२ १५०४ फाल्गुन वदि ११ जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ११४७ १५१० चैत्र वदि ४ शनिवार | वही, भाग२, लेखांक ११५२ १५११ माघ वदि ९ वही, भाग २, लेखांक १४०१ | १५१३ पौष सुदि ८ वही, भाग२, लेखांक १०८९
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