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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४०६ लेख पुष्पदन्त का कृष्ण-काव्य : एक अनुशीलन "" पुष्पदन्त की रामकथा पुष्पदन्त की रामकथा की विशेषताएँ पैंतालीस और बत्तीस सूत्रों की मान्यता पर विचार ४५ आगम और मूलसूत्र की मान्यता पर विचार प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक वैभव प्रसिद्धिप्राप्त श्वेताम्बर जैनों की कुछ कृत्रिम कृतियों प्राकृत का अध्ययन प्राकृत और उसका विकास स्त्रोत प्राकृत और उसका साहित्य प्राकृत की बृहत्कथा “वसुदेवहिण्डी” में वर्णित कृष्ण प्राकृत के विकास में बिहार की देन - क्रमशः प्राकृत जैन कथा साहित्य-क्रमशः 77 प्राकृत 'पउमचरिय' रामचरित श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक कु० प्रेमलता जैन "" डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन कु० प्रेमलता जैन श्री अगरचन्द नाहटा " डॉ० प्रवेश भारद्वाज श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० सुनीतकुमार चाटुर्ज्या श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव "" श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री "" डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव वर्ष 2 2 2 2 २७ २७ १७ २८ १ ३३ ४१ १९ १९ a ago x x x x २२ १० ४५ २१ २१ २२ २२ २२ अंक ४ J १-२ or on ११ ६ ४-६ ४ ९ out m ६ ३ ७-९ j wor ६ ई० सन् १९७६ १९७६ १९६५ १४-१८ १९७६ ५- १२ १९५० २४-२९ १९८२ ६१-६३ १९९० ८९-१०० १९६८ ९-३० १९६८ १०-१२ १९७१ ३-९ १९५९ १३-१९ १९९४ २३-३० १९७० ४-१४ १९७० २०-३६ १९७१ ३-१० १९७१ १६-२१ १९७० १४-१९ पृष्ठ ३-९ ३-९
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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