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________________ Jain Education International २६ २६ अंक १-२ १२ For Private & Personal Use Only लेख महावीरोपदिष्ट परिग्रह परिमाण व्रत मानतुंगसूरिरचित पंचपरमेष्ठिस्तोत्र मानव साध्य है या साधन मनियों का आदर्श त्याग मूलाचार में मुनि की आहार-चर्या मूलाधार की समाधिमरण मैं मुक्ति चाहता हूँ मोक्ष मृत्यु एवं सल्लेखना यशस्तिलक चम्पू और जैन धर्म युवाचित्त धर्म से विमुख क्यों योग और भोग योग का जनतन्त्रीकरण लेश्या-एक विश्लेषण वर्षा ऋतु का आहार-विहार श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री जमनालाल जैन श्री अगरचन्द नाहटा प्रो० नेमिचरण मित्तल मुनिश्री आईदान जी महाराज डॉ० फूलचन्द जैन 'प्रेमी' श्री उदयचंद जैन श्री भंवरमल सिंघी श्री गोपीचंद धारीवाल डॉ० हुकुमचन्द संगवे डॉ० (कु०) सत्यभामा दर्शनाचार्य मुनि योगेश विजयमुनि शास्त्री प्रो० श्रीरंजन सूरिदेव कुमारी सुशीला जैन वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन ३८५ ई० सन् पृष्ठ । १९७४ - ५७-६२ १९७५ १४-१७ १९६० ९-११ १९५२ ७-८ १९७५ ३-१३ १९७१ २१-३० १९५५ १९६६ १४-१९ १९७४ ३२-३९ १९८४ १५-२८ १९८७ २०-२२ १९५८ ७-८ १९७८ ३-७ १९७२ २०-२४ १९५४ १६-१९ १९५६ २३-२५ १९५५ १९-२० १९६२ २९-३४ १९६२ २६-३० da ag an rw mmg x x s roxo a m m mm or 1 39 २९ २३ www.jainelibrary.org वसन्त ऋतु का आहार-विहार व्रत का मूल्य वीतराग की उपासना डॉ० नेमिचन्द शास्त्री श्री ज्ञानमुनि जी १३ १३
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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