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________________ ३६५ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रमेशमुनि शास्त्री कु० अर्चना पाण्डेय श्री रमेशमुनि शास्त्री . wax ई० सन् १९७७ . १९८५ १९७७ पृष्ठ १७-२० ९-१३ २२-२६ ४-६ For Private & Personal Use Only लेख व्युत्सर्ग आवश्यक शब्द का वाच्यार्थ जाति या व्यक्ति शब्दों की अर्थ मीमांसा षङ्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या षड़ावश्यक में सामायिक श्रोतेन्द्रिय की प्राप्यकारिता : एक समीक्षा संवर और निर्जरा संसार का अन्तरंग प्रदेश संस्कृत साहित्य में कर्मवाद सत्य के आवरण या मूर्छाएं 'सत्यं स्वर्गस्य सोपानम्' सम्यग् ज्ञान और मिथ्या ज्ञान सम्यक् दृष्टि और मिथ्या दृष्टि डॉ० सागरमल जैन श्री हुकुमचंद संगवे श्री नंदलाल जैन श्री गोपीचंद धारीवाल १८ १९ ३८ १६ ९ १ १३-२१ ११-१६ २५-३२ १०-१७ २३-२५ १०-१६ १२-१९ डा० रत्नलाल जैन डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री » or m 59 or or any mx & or १९९३ १९७१ १९८२ १९६७ १९६८ १९८७ १९६४ १९५४ १९५१ १९५४ १९५४ १९५१ १९७९ ३-४ २ ४ www.jainelibrary.org ११-१४ ३-१० ४-११ ९-१४ ११-२२ सबसे बड़ा प्रश्न - मैं कौन हूँ समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा मुनिश्री रामकृष्ण जी महाराज श्री नरेन्द्रकुमार जैन
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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