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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
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___अंक १
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न्याय सम्पन्न विभव पंचकारण समवाय परमतत्त्व : आचार्य विनोबा भावे की दृष्टि में परमाणु परिग्रह मीमांसा पुद्गल पुद्गल : एक विवेचन पुनर्जन्म सिद्धान्त की व्यापकता प्रातिभज्ञानात्मक चिन्तन : सापेक्ष चिन्तन प्रत्येक आत्मा परमात्मा है प्रमाणवाद : एक पर्यवेक्षण - क्रमश:
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डॉ० रतनचन्द्र जैन डॉ० नरेन्द्र बहादुर डॉ०मोहनलाल मेहता श्री रघुवीरशरण दिवाकर डॉ० मोहनलाल मेहता मुनि बुद्धमल्ल जी श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री पाण्डेय रामदास 'गंभीर' पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
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ई० सन् १९५० १९९७ १९८५ १९६९ १९५१ १९६९ १९७४ १९७३ १९८२ १९६३ १९७४ १९७४ १९७४ १९९७ १९७२ १९७३ १९७२
पृष्ठ । ९-१२ ७३-८० २२-२६ ५-७ ९-१४ २०-२२ १४-१८ ३-१० ५-१७ ३१-३२ ३-१३ ७-१८ १३-२२ १३३-१४० ३-१५ ३-११ ११-१४
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प्रमाण-लक्षण-निरूपण में प्रमाण मीमांसा का अवदान प्रमाण स्वरूप विमर्श - क्रमश:
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४-६
डॉ० सागरमल जैन डॉ० सुदर्शनलाल जैन
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प्रमेय : एक अनुचिन्तन
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डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव