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________________ Jain Education International वर्ष अंक १६ १४ ३६० लेख दर्शन और धर्म दर्शन और ज्ञान जब चारित्र में आया दर्शन और धर्म दर्शन और विज्ञान : एक चिन्तन द्वादशारनयचक्र का दार्शनिक अध्ययन धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान धर्म एवं दर्शन-एक गवेषणात्मक विवेचन धर्म और दर्शन श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री महेन्द्रसागर प्रचण्डिया पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री गणेशमुनि शास्त्री श्री जितेन्द्र बी० शाह डॉ० सागरमल जैन संगीता झा मुनि राजेन्द्रकुमार रत्नेश मुनिश्री सुशीलकुमार जी १६ ४३ ३७ ४० For Private & Personal Use Only 99 r rMMA - MMA T ३६ ई० सन् __ पृष्ठ १९६५ ३-७ १९८५ १८-१९ १९६२ ९-१३ १९६५ ८-१२ १९९२ ५९-६३ १९८६ १-२० १९८९ ३०-४० १९८५ १६-१८ १९५६ २०-२३ १९५६ २३-२८ १९८१ ३५-४८ १९७८ १४-१८ १९७२ १३-१७ १९७४ १०-१५ १९५६ ५-१२ १९७४ ३-८ १९७४ ३-१० " ३२ २९ नय और निक्षेप-एक विश्लेषण नयवाद: एक दृष्टि निक्षेप में नय योजना निक्षेपवाद : एक परिदृष्टि निह्मववाद निश्चय और व्यवहार निश्चय और व्यवहार : पुण्य और पाप डॉ० कृपाशंकर व्यास श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री उदयचंद जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री मोहनलाल मेहता पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री पं० दलसुख मालवणिया www.jainelibrary.org 2
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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