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________________ ४४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only लेख एकता की ओर एक कदम एक नया पुरोहितवाद एक महान् विरासत की सहमति में उठा हाथ एलाचार्य मुनिश्री विद्यानन्द जी का सामाजिक दर्शन उपाध्याय श्री अमरमुनि जी : एक ज्योर्तिमय-व्यक्तित्व ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्ध कन्नड़ संस्कृति को जैनों की देन कर्मों का फल कला का कौल कल्पना का स्वर्ग या स्वर्ग की कल्पना कवि पुष्पदन्त की रामकथा कविरत्न श्री अमरमुनि जी कविवर देवीदास : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व कवि-स्वरूप : जैन आलंकारिकों की दृष्टि में कर्मशास्त्रविद् रामदेवगणि और उनकी रचनाएँ क्या अणुव्रत आन्दोलन असाम्प्रदायिक है ? क्या जातिस्मरण भी नहीं रहा or w uronun xaoar o orar श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक अंक श्री ऋषभदास रांका मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री ७ ६-७ श्रीमहेन्द्रकुमार फुसकुले ३६ ८ श्री रत्नेश कुसुमाकर ३१ २ मुनि समदर्शी श्री मांगीलाल भूतोड़िया ४०८ प्रो० के० एस० धरणेन्द्रैया डॉ० आदित्य प्रचण्डिया श्री मनुभाई पंचोली श्री सौभाग्यमल जैन ३२ ४ श्री गणेशप्रसाद जैन २१ ९ मुनिश्री कांतिसागर जी ८ ५ श्री अभयकुमार जैन २८ १० डॉ० कमलेशकुमार जैन २७ ७ श्री अगरचंद नाहटा ___२९ ९ मुनि समदर्शी १० ९ श्री कस्तूरमल बांठिया ई० सन् १९५९ १९५६ १९८५ १९७९ १९८२ १९८९ १९५३ १९८१ १९५४ १९८१ १९७० १९५७ १९७७ १९७६ १९७८ १९५९ १९६० पृष्ठ २२-२४ २७-३१ ११-१४ २३-२७ २१-२५ २४-२५ ३९-४६ २०-२१ १-३ १७-२१ २४-२७ ८-१० १२-१९ ८-१२ ११-१९ २३-२४ २९-३४ www.jainelibrary.org
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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