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________________ Jain Education International ३५२ लेख นี้ : * * * * * * अंक ७-८ ८ १०-१२ ३ ३ ७-९ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० सुखलाल जी श्री श्रीप्रकाश दुबे डॉ० नन्दलाल जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र डॉ० रत्ना श्रीवास्तव डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० लालचन्द जैन डॉ० प्रद्युम्नकुमार जैन पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० धूपनाथ . प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० रत्नलाल जैन श्री रमेश मुनि डॉ० मोहनलाल मेहता प्रो० रामचन्द्र महेन्द्र श्री अभयकुमार जैन एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति कर्म और अनीश्वरवाद कर्म और कर्मबन्ध कर्म का स्वरूप कर्म का स्वरूप कर्म की नैतिकता का आधार-तत्त्वार्थसूत्र के प्रसंग में कर्मवाद व अन्यवाद क्या जैन दर्शन नास्तिक दर्शन है ? . क्या जैनधर्म रहस्यवादी है ? क्या धन-सम्पत्ति आदि कर्म के फल हैं काल कालचक्र केवलज्ञान सम्बन्धी कुछ बातें कर्म की विचित्रता- मनोविज्ञान की भाषा में षड्द्रव्य : एक परिचय गणधरवाद गाँधी सिद्धान्त गुणस्थान : मनोदशाओं का आध्यात्मिक विश्लेषण ४५ २२ ३० or n mb sw vara or x xara * * * * * * * * * * ई० सन् १९५३ १९६३ १९९४ १९७१ १९८४ १९९४ १९७१ १९७९ १९७७ १९५१ १९६९ १९९५ १९५२ १९८९ १९७२ १९५८ १९५८ १९७७ पृष्ठ ३-१० ९-१२ १०-२२ ३-११ ५-७ १-९ ११-२० ३-१५ ११-१७ ३०-३९ ७-९ ४२-४३ १९-२२ ३५-४१ १४-१५ ३-६ २८-२९ ३-१४ -१२ www.jainelibrary.org *
SR No.525035
Book TitleSramana 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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