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________________ वर्ष अंक Jain Education International ई० सन् १९७३ ९१ पृष्ठ २८-३१ « २४ ४ २४ २४ २४ K श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक राष्ट्रभाषा के आद्यजनक भगवान् महावीर डॉ० रतिलाल म० शाह विश्वेश्वरकृत शृंगारमंजरी3 सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र पद्मचरित और उपमचरिउ श्री रमेशचन्द जैन जैन धर्म की प्राचीनता और विशेषता कुमारी मंजुला मेहता सर्वांगसुन्दरी कथानक डॉ० के० आर० चन्द्र ग्यारह गणधर सम्बन्धी ज्ञातव्य बातें श्री अगरचन्द भंवरलाल नाहटा क्या स्त्रियां तीर्थंकर के सामने बैठती नहीं ? श्री नन्दलाल मारु । जैनदर्शन में कर्म का स्वरूप डॉ० राधेश्याम श्रीवास्तव विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र ! महावीर और उनके सिद्धान्त श्री देवेन्द्र कुमार जैन जैन परम्परा में ध्यान-योग श्री धन्यकुमार राजेश प्राचीन भारत में अपराध और दंड । डॉ. प्रमोद मोहन पाण्डेय विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र जैन मिस्टीसिज्म (क्रमश:) प्रो० यू० ए० असरानी भारतीय साहित्य की रमणीय काव्य रचना: गउडवहो श्रीरंजन सूरिदेव د د د د د د « For Private & Personal Use Only २४ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ । १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ ३२-३७ ३-७ ८-१५ १६-२१ २२-२६ २७-३० ३१-३५ ३६-३८ ३-८ ९-१६ १७-२१ २२-२६ २७-३८ २४ २४ २४६ که ما کن که که د o or २४६ २४ www.jainelibrary.org २४ و १९७३ ३-७
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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