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________________ ,a Jain Education International For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक महाकवि पुष्पदंत : एक परिचय श्री गणेश प्रसाद जैन सावयपण्णत्ति :एक तुलनात्मक अध्ययन (क्रमश:) पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री गजेटियर आफ इंडिया (१९६५) में जैनी और जैनधर्म श्री सुबोध कुमार जैन श्रमण संस्कृति में अहिंसा के प्राचीन संदर्भ डॉ० भागचन्द जैन क्या रामकथा का वर्तमान रूप कल्पित है श्री धन्यकुमार राजेश बुन्देलखण्डी भाषा में प्राकृत के देशीशब्द डॉ० कोमलचन्द जैन मांडव- एक प्राचीन जैनतीर्थ श्री शांतिलाल मांडलिक जयप्रभसूरिरचित कुमारसंभवटीका श्री अगरचन्द नाहटा सर्वज्ञता : एक चिन्तन डॉ० मोहनलाल मेहता जैन रासक परिभाषा, विकास और काव्यरूप डॉ० प्रेमचन्द जैन श्रमण संस्कृति में अहिंसा के प्राचीन संदर्भ डॉ० भागचन्द जैन क्या रामकथा का वर्तमान रूप कल्पित है श्री धन्यकुमार राजेश अंगविज्जा श्री श्रीनारायण शास्त्री प्राकृत के विकास में बिहार की देन (क्रमश:) श्रीरंजन सूरिदेव क्या 'व्याख्यापप्रज्ञप्ति का १५वां शतक प्रक्षिप्त है ? डॉ. मोहनलाल मेहता जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग ५ के कतिपय सशोधन श्री अगरचन्द नाहटा ރު ން ބޭ ނު ން ނަ ން ނަ gur wur 9 9 9 9 9 9 vvvvor ई० सन् १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० १९७० पृष्ठ १५-१९ २०-२७ २८-६५ ३-९ १०-१९ २०-२३ २४-३० ३१-३३ ३४-३८ ३-९ १०-१७ १८-२७ २८-३२ ४-१४ ން www.jainelibrary.org १९७० १९७० १५-१९ २०-२३ २१ १९७० ९
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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