SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International अंक ७-८ ७-८ लेख उत्तराध्ययन सूत्र- धार्मिक काव्य ग्रीष्म ऋतु का आहार-विहार o मेघदूतम् की एक अज्ञात बालाक्बोध पंजिका सुहृदय श्री मुनिलाल जैनी स्थानांग और समवायांग (क्रमश:) शिवशर्मसूरिकृत 'कर्म प्रकृति' अहिंसा के तीन क्षेत्र (क्रमश:) पंचयाम धर्म का एक पर्यवेक्षण मील का पत्थर भगवान् महावीर के आठ सन्देश सर्वोदय और जैन दृष्टिकोण उद्भट विद्वान् पं० बेचरदास दोशी स्थानांग व समवायांग रायपसेणिय उपांग और उसका रचनाकाल (क्रमश:) अहिंसा के तीन क्षेत्र क्रोध और क्षमा वैराग्य क्या है ? For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक प्रो० कानजी भाई पटेल वैद्यराज श्री सुन्दरलाल जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री हरजसराय जैन पं० बेचरदास दोशी डॉ० मोहनलाल मेहता काका कालेलकर श्री वृजनन्दन विजयेन्द्र 'दर्शी' श्री ज्ञानमुनि श्री महावीरचन्द धारीवाल श्री गुलाबचन्द जैन पं० बेचरदास दोशी . “E : : : : : : : : : : : Stor or or or or or or ई० सन् १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ पृष्ठ । ४८-५७ ५९-६२ ६३-६४ ६६-६८ २-६ ७-१५ १६-१९ २०-२३ २४-२७ २८-३२ ३३-३६ ३७-३८ २-८ १५ १५ ९ १० १५ १५ १० । श्री कस्तूरमल बांठिया काका कालेलकर समीरमुनि स्व० छोटालाल हरजीवन सुशील www.jainelibrary.org १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ ९-१६ १६-१७ १८-२१ २२-२९ १५
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy