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________________ ५७ लेख Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री महेन्द्र कुमार शास्त्री श्री श्रीप्रकाश दुबे पं० दरबारीलाल कोठिया श्री रामजी भाई पटेल डॉ० ज्योति प्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्रीरंजन सूरिदेव १५ १५ १५ अंक ५-६ ५-६ ५-६ ई० सन् १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ पृष्ठ ७-१० १२-१४ १७-२० २३-२७ ३३-३४ ३७-४१ ४२-४७ ५-६ १५ ५-६ १५ ५-६ १९६४ For Private & Personal Use Only तीर्थंकर और उनकी शिक्षाएं पुण्डरीक का दृष्टांत 2स्याद्वाद और अनेकान्तवाद श्रमण परम्परा में धर्म और उसका महत्त्व धर्म और सहिष्णुता महावीर का तप कर्म मुनि वारिषेण और उनका सम्यकत्व भगवान् महावीर के जीवनचरित्र और उन पर विभिन्न परम्पराओं का प्रभाव धार्मिक एकता वर्धमान से महावीर कैसे बने भगवान् महावीर के बाद श्री रत्नमुनि: जीवन परिचय आगरा में श्रीरत्नमुनि शताब्दी समारोह तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ .. समता के संदेशदाता : भगवान् महावीर वर्धमान महावीर के जीवन का एक भ्रान्त दृश्य ५-६ ५-६ ५-६ . ५-६ श्री कस्तूरमल बांठिया मुनि श्री नेमिचन्दजी श्री जिनविजयसेन सूरि श्री समीर मुनि 'सुधाकर' श्री विजय मुनि श्री कृष्णचन्द्राचार्य श्री श्रीप्रकाश दुबे श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन : : : : : : : : : ७-८ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ ४९-६३ ६५-६८ ६९-७१ ७२-७५ ५-११ १२-१६ १७-२१ २५-२८ ३३-४६ ७-८ १५ ७-८ ७-८ ७-८ www.jainelibrary.org ७-८
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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