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________________ Jain Education International ४० ४० ४० अंक १० १० १४५ पृष्ठ १-७ ८-१३ १४-१९ २०-२९ ४० ई० सन् १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ । ४० ४० ४० ४० श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म स्थान डॉ० सीताराम राय ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्धों पर टिप्पणी श्री भंवरलाल नाहटा जैन परम्परा में महाभारत कथा डॉ० कल्याणी देवी जायसवाल संगीत समयसार का आलोचनात्मक अध्ययन लक्ष्मीबाला अग्रवाल संवत्सरी डॉ० गोकुलचन्द जैन पर्युषण पर्व का मतलब भाई बंशीधर पर्युषण और सामाजिक शुद्धि मुनि नेमिचन्द्र प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र पं० दलसुख भाई मालवणिया । जैन एवं बौद्ध दर्शनों में कर्म की विचित्रता रत्नलाल जैन कल्पप्रदीप में उल्लिखित 'खेड़ा गुजरात का नहीं राजस्थान का है श्री भंवरलाल नाहटा धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान श्रीमती संगीता झा जैनदर्शन में परीषह जय का स्वरूप एवं महत्त्व कु० कमला जोशी आचार्य हेमचन्द्र एक युग पुरुष । डॉ० सागरमल जैन संलेखना के विभिन्न पर्यायवाची शब्द डॉ० रज्जन कुमार विश्वचेतना के मनस्वी सन्त विजयवल्लभ सूरि पंन्यास नित्यानन्द विजय युद्ध और युद्धनीति इन्द्रेशचन्द्र सिंह स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन प्रो० सागरमल जैन धर्मघोषगच्छ का संक्षिप्त इतिहास डॉ० शिव प्रसाद For Private & Personal Use Only ४० ४० १९८९ ४० ४० ६-१० ११-२० ११-२० २५-२८ ३०-४० ४१-४५ ३-१५ १६-२० २१-२५ २६-३६ ३-४४ ४५-१०४ ४० १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९८९ १९९० १९९० ४० ४० ४० www.jainelibrary.org ४१ ४१
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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