SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International m m x For Private & Personal Use Only १२६ लेख जैन दर्शन में प्रत्यक्ष का स्वरूप (विशेष शोध-निबन्ध) श्रोत्र इन्द्रिय की प्राप्यकारिता : एक समीक्षा स्याद्वादः एक भाषायी पद्धति जैन धर्म में आत्मतत्त्व निरूपण जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि जैन भिक्षुणी-संघ और उसमें नारियों के प्रवेश के कारण भगवान् श्री अजितनाथ भिगमंगों-मन नैतिक आचरण विधि : सोरेन की गार्ड और जैन दर्शन सत्ता का दर्प अहिंसा परमोधर्मः दशरूपक की एक अव्याख्यात्मक गाथा श्रमण भगवान् महावीर के चारित्रिक अलंकरण महावीर के सिद्धान्त-युगीन सन्दर्भ में क्रान्तदर्शी महावीर दुर्दान्त दस्यु दया का देवता बना भगवान् महावीर और युवा-अध्यात्म WWW W ww w w x x x x 5 श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक अंक डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा ३ श्री नंदलाल जैन ३३ ३ श्री भिखारीराम यादव ३३ ३ प्रो० रामदेव राम यादव ३३ ४ डॉ० आदित्य प्रचण्डिया दीति ३३ श्री अरुण कुमार सिंह श्री भूरचन्द जैन ३३४ डॉ० रतनकुमार जैन ३३ .४ पाण्डेय रामदास गम्भीर उपाध्याय अमरमुनि जी रविशंकर मिश्र पं० विश्वनाथ पाठक ३३ ५ रविशंकर मिश्र ___ ३३ ६ डॉ० सागरमल जैन ३३ ६ उपाध्याय अमरमुनि जी ३३६ श्री वीरेन्द्रकुमार जैन ३३ ६ श्री जमनालाल जैन ३३६ ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ पृष्ठ १-२४ २५-३२ ३३-३८ १-९ । १०-११ १२-१६ १७-२० २१-२८ ३-१२ १३-१६ १७-१९ २०-२१ १-२ ३-२७ २८-३८ ३९-५० ५१-५५ 55 5 w w w w w www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy