SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११६ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री नरेन्द्रकुमार जैन अंक ३०८ ई० सन् १९७९ पृष्ठ ३-१३ ३० १९७९ ८ १९७९ For Private & Personal Use Only: लेख जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार (क्रमश:) प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एवं उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय । जैन श्रावकाचार स्वयंभू का कृष्णकाव्य और सूरकाव्य के अध्ययन की समस्याएँ जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार जैन दर्शन में ब्रह्माद्वैतवाद समताशील भगवान् महावीर जिनदत्तसूरि का शकुनशास्त्र एवं हरिभद्र सूरि का व्यवहारकल्प ब्रह्माद्वैतवाद का समालोचनात्मक परिशीलन तीर्थंकर महावीर विनयप्रभकृत जैन व्याकरण ग्रंथ- शब्ददीपिका निर्जरा तत्त्व-एक विश्लेषण प्राचीन जैन तीर्थ-करेड़ा पार्श्वनाथ पर्युषण : संभावनाओं की खोज जैन साधना के मनोवैज्ञानिक आधार जैनधर्म में कर्मयोग का स्वरूप डॉ० सागरमल जैन डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री नरेन्द्रकुमार जैन डॉ० लालचन्द जैन मुनिश्री महेन्द्रकुमार (प्रथम) श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० लालचन्द जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री भूरचन्द जैन डॉ० नेमिचन्द जैन डॉ० सागरमल जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९ १४-२० २१-३२ ३३-३५ ३-१० ११-२६ २७-३० ३१-३३ ३-१३ १४-१६ १७-२१ २२-२९ ३०-३४ ३-७ ८-१४ १५-२० www.jainelibrary.org
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy