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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख सेवा: स्वरूप और दर्शन पुष्पदन्त की रामकथा की विशेषताएँ शासन-प्रभावक आचार्य जिनप्रभसूरि वर्धमान जैन आगम - मन्दिर महोपाध्याय समयसुन्दर- रचित कथा कोश The Eight Dikpalas as Depicted in the Jaina temple at Kumbharia मानव-संस्कृति का विकास जैन वास्तुकला : संक्षिप्त विवेचन कीर्तिवर्द्धनकृत सदयवत्स - सावलिंगा चउपई सन्देशरासक में उल्लिखित वनस्पतियों के नाम जैन साहित्य और शिल्प में वाग्देवी सरस्वती श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक हरियाणा के सुकवि मालदेव की नवोपलब्ध रचनाएँ पार्श्वाभ्युदय में प्रकृति-चित्रण श्री जमनालाल जैन श्री रमेश मुनि शास्त्री कु० प्रेमलता जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री भूरचन्द जैन श्री भंवरलाल नाहटा Shri Harihar Singh श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० शिवकुमार नामदेव डॉ० अशोककुमार मिश्र श्री श्रीरजंन सूरिदेव श्री मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी गुणस्थान : मनोदशाओं का आध्यात्मिक विश्लेषण (क्रमशः) श्री अभय कुमार जैन त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में रसोद्भावना कु० मंजुला मेहता श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० रमेशचन्द्र जैन वर्ष २७ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ २८ अंक ११ १ १ १ १ १ २ ३ ई० सन् १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १०७ पृष्ठ ३३-३४ ३-४ ५- १२ १३-२० २१-२३ २४-२७ २८-३१ ३-१५ १६-२१ २२-२६ २७-२९ ३०-३४ ३-१४ १५-२० २१-२४ २५-३०
SR No.525034
Book TitleSramana 1998 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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