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६० श्रमण/जनवरी-मार्च / १९९८
एक अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह भी चर्चा करने योग्य है कि क्या कोई व्यक्ति अपनी स्थायी पहचान किसी रूप में बनाने का प्रयास न करे? यानी, कोई क्रिकेट खिलाड़ी अपनी पहचान अच्छे क्रिकेट के खिलाड़ी के रूप में बनाना चाहे तो क्या हानि है ? इसके उत्तर में यही कहना उचित होगा कि प्रधानमंत्री बनने का अर्थ यह नहीं है कि कुर्सी कभी भी छोड़ने को तैयार न हो । उचित समय पर एक क्रिकेट खिलाड़ी को भी सहर्ष रिटायर होने के लिए तैयार होना चाहिए।
और भी कई प्रश्न उपस्थित हो सकते हैं किन्तु उनकी चर्चा यहां आवश्यक नहीं है, क्योंकि मुख्यतः यह लेख जो तनावग्रस्त हैं उनके तनाव को कम करने हेतु लिखा जा रहा है। महत्त्वाकांक्षा, धनात्मक चिंतन आदि के कारण से यदि कोई व्यक्ति तनावग्रस्त है तो उस व्यक्ति ने महत्त्वाकांक्षा, धनात्मक चिंतन आदि को ठीक तरह से नहीं समझा है। यह विश्लेषण आशा का संचार करने हेतु है । आगे स्थायी परिचय के वर्णन में भी धनात्मकता का वर्णन किया जा रहा है।
४. स्थायी परिचय
स्थायी परिचय का अर्थ ऐसा परिचय है जो सदैव एक जैसा रहे। यहां हम “तथाकथित स्थायी परिचय" की बात नहीं कर रहे हैं। " स्थायी" शब्द का भारी से भारी अर्थ करते हुए निर्विवाद रूप से स्थायी शब्द का जो गहनतम अर्थ हो सकता है उसे स्वीकार करना है। भूतकाल, वर्तमानकाल एवं भविष्य, तीनों कालों में जो समान हो, शाश्वत हो, एक जैसा हो, अटल हो, अचल हो ऐसे परिचय को स्थायी परिचय कहा जाता है।
सरल शब्दों में कहा जाये तो आत्मा कभी चींटी के शरीर में विराजमान था या आज मनुष्य के शरीर को धारण किये हुए है या अगले जन्म में कोई अन्य शरीर धारण करे, इन सभी बदलती हुई अवस्थाओं में आत्मा के विचारों एवं सुख-दुःख के अनुभव में जो बदलाव आता है वह आत्मा का स्थायी परिचय नहीं है। इन सभी बदलती हुई अवस्थाओं में भी आत्मा का जो भाव स्थायी या एक जैसा रहता है वह आत्मा का स्थायी परिचय है। इस स्थायी भाव को जैन दर्शन की पारिभाषिक शब्दावली में पारिणामिक भाव कहा जाता है। मेरी आत्मा में जो स्थायीपना है वह मेरा स्थायी परिचय है । आध्यात्मिक दृष्टि से वही मैं हूँ। इस परिचय में मैं 'अनेक' प्रकार का न होकर 'एक' ही रहता है।
स्पष्ट है कि आत्मा के इस स्थायी परिचय के अनुसार आत्मा न केवल दूसरे पदार्थों से भिन्न है अपितु मानसिक इच्छाओं, विकल्पों, क्रोध, अहंकार, वासना आदि से भी परे है क्योंकि ये सभी बदलते रहते हैं।