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________________ स्वयं की अनेकान्तमयी समझ से तनावमुक्ति ५७ आप कह सकते हैं कि जिसने अपनी डायरी में पहला उत्तर लिखा है वह भी कुछ वर्षों बाद इसका लाभ ले सकता है। कुछ वर्षों बाद जब मकान का रंग गुलाबी न होकर किसी अन्य रंग का हो जायेगा या गुलाब के फूल की क्यारी न रहेगी तब भी पहले उत्तर को याद रखने वाला विवेक बुद्धि के अनुसार २२०, विवेकानन्द कालोनी, उज्जैन को ही मुख्य आधार मानकार इस मकान को पहचान सकता है। इस तर्क का प्रति उत्तर यही है कि आपके तर्क ही यह स्वीकार कर रहे हैं कि डायरी में लिखे हुए पहले उत्तर की कांट-छांट विवेक बुद्धि से करके दूसरे उत्तर को ही मुख्य मानना है। यानी प्रश्नकर्ता स्वयं स्वीकार रहा है कि पहले उत्तर में काटछाँट की आवश्यकता समय-समय पर हो सकती है। व यदि काट-छाँट में मुख्य बिन्दु मानने में भूल हो गई तो हानि होगी। अर्थात् यदि मकान के गुलाबी रंग या गुलाब के फूल या कैक्टस के गमलों को ही मुख्य बिन्दु मान लिया व मकान नंबर २२० को भूल गये तो हानि होगी। इस उदाहरण से हम यह बताना चाहते हैं कि मकान के पते के मामले में मकान का नंबर, कालोनी का नाम एवं शहर, प्रदेश के अतिरिक्त जो भी जानकारी मकान के रंग, फूल, गमलों आदि के बारे में है वह सब मकान को खोजने में बाधक भी हो सकती है। हां, यदि हमें मुख्य जानकारी (नंबर, कालोनी, शहर) ध्यान में रहे व मुख्य जानकारी को ही प्रमुखता देने की मान्यता रहे तो कदाचित् अतिरिक्त बदलने वाली जानकारी किसी रूप में सहायक भी हो सकती है। "मैं कौन हूँ?'' इस प्रश्न के उत्तर में उपर्युक्त उदाहरण का बहुत उपयोग हो सकता है। जैसे मकान के पते के मामले में मकान नंबर, कालोनी एवं शहर मुख्य हैं व मकान का रंग, गुलाब के फूल, गमले आदि बदलने वाले हैं, उसी प्रकार जो कुछ भी हमारी आत्मा में स्थायी है उसे ही हमारी आत्मा का मुख्य परिचय मानना चाहिये। मझे अमक आदमी को क्रोधी देखते ही गुस्सा आता है- यह मेरा बदलने वाला परिचय है। ग्रीष्मकाल में मुझे कूलर की ठंडी हवा से प्रसन्नता मिलती है। यह भी मेरा बदलने वाला परिचय है। मैं देश की कई राजनीतिक दलों की दशा से अप्रसन्न हूँ- यह भी मेरा बदलने वाला परिचय है। अत: मकान के रंग एवं मकान की क्यारी के फूलों की तरह ये सभी आत्मा के बदलने वाले परिचय हैं। इनको यदि हम अपना वास्तविक एवं स्थायी परिचय मान लेंगे तो हमें निराशा या तनाव या अहंकार ही हाथ लगेंगे। कैसे? जरा विचार करते हैं। मकान के मामले में तो स्पष्ट है कि रंग के आधार पर किसी मकान को याद रखेंगे तो रंग बदलने पर मकान तक नहीं पहुँच सकेंगे। हमारे बारे में भी यदि हमने अपना परिचय बदलने वाली अवस्थाओं के आधार पर माना तो सुहावनी स्थिति के बदलते
SR No.525033
Book TitleSramana 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Shivprasad, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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