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________________ श्रमण जैन संदर्भ में अचेतन द्रव्य व्यवस्था -डॉ. विनोद कुमार तिवारी - जैन परम्परा में संसार की समस्त वस्तुओं का विभाजन दो वर्गों में किया गया है और उन्हें जीव एवं अजीव की संज्ञा दी गयी है। जैन दार्शनिकों के अनुसार जीव का साधारणत: अर्थ चेतन द्रव्य या आत्मा है जबकि अजीव से तात्पर्य अचेतन वस्तुओं या ऐसे द्रव्यों से है, जिनमें चेतना नहीं पायी जाती। अचेतन द्रव्यों में पुद्गल के अतिरिक्त देश और काल भी सम्मिलित किये गये हैं। अजीव में भी जिनके शरीर होते हैं, उन्हें “अस्तिकाय अजीव" कहते हैं और जिनके शरीर नहीं होता, उन्हें "अनस्तिकाय अजीव" कहा जाता है। अजीव द्रव्यों का विभाजन पाँच समूहों में किया गया है- धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल और काल। इनमें से प्रथम चार को अस्तिकाय कहा गया है, क्योंकि इनमें अनेक प्रदेश होते हैं, अथवा दूसरे शब्दों में ये स्थान घेरते हैं। पर काल में चूंकि एक ही प्रदेश है, अत: वह अस्तिकाय नहीं है। इस सृजन के अन्तर्गत अजीव तत्त्व का नाश नहीं होता है इसी कारण इसे द्रव्य कहा गया है। जहाँ पुद्गल में रस, रूप, गंध और स्पर्श जैसे लक्षण होते हैं, वहीं अन्य द्रव्यों में ये गुण नहीं पाये जाते। धर्म, अधर्म और आकाश एक हैं, परन्तु पुद्गल और जीव अनेक हैं। प्रथम तीन क्रियारहित हैं, जबकि पद्गल और जीवों में क्रिया होती है। काल में क्रिया नहीं है और यह एक स्थान से दूसरे स्थान को नहीं जा सकता। धर्म, अधर्म, आकाश एवं जीव में अनेक प्रदेश होते हैं, पर अणु में प्रदेश का अभाव होता है, अत: इसे अनादि, अमध्य और अप्रदेश भी कहा गया है। ये द्रव्य उस आकाश में जहाँ जीव, धर्म, अधर्म, काल एवं पुद्गल व्याप्त रहते हैं, स्वच्छन्द रूप से विचरण करते हैं। सामान्यत: धर्म और अधर्म का अर्थ क्रमश: पुण्य और पाप से लिया जाता है, पर जैनों ने धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय का विशेष अर्थों में प्रयोग किया है। 'धर्मास्तिकाय' अजीव तत्त्व का वह भेद है, जो स्वयं क्रियारहित है और दूसरे में भी क्रिया उत्पन्न नहीं करता। लेकिन यह क्रियाशील जीवों और पुद्गलों की क्रिया में सहायता * रीडर, इतिहास विभाग, यू०आर० कालेज, रोसड़ा, समस्तीपुर- ८४८२१०।
SR No.525033
Book TitleSramana 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Shivprasad, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1998
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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